एक दर्दनाक घटना से बदल गई महिलाओं की जिंदगी
लेखक – कुमार राकेश
एक साथ कई मोर्चों पर लड़ती हैं चंगर की महिलाए
कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं होता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो
प्रसिद्ध शायर दुष्यंत कुमार का यह शेयर चंगर महिला संगठन से जुड़ी महिलाओं पर स्टीक बैठता है। इन महिलाओं ने अपने जुनून और कुछ करने की जिद से पिछड़े क्षेत्र मे बहुत बड़ा बदलाव खड़ा कर दिया है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के चंगर क्षेत्र की ये महिलाएं आर्थिक रूप से काफी सुदृढ़ हो गई हैं। वर्तमान में इस संगठन के साथ कई स्वयं सहायता समूह और महिला मंडल जुड़े हैं, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से
मजबूत करने के लिए और समाज के हित में कार्य कर रहे हैं।
हिमाचल प्रेदश के निचले क्षेत्रों में चंगर क्षेत्र उस क्षेत्र को कहा जाता है जहां लोग सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं।
चंगर महिला संगठन की प्रधान वीना जम्वाल ने बताया कि क्षेत्र में कई महिला मंडल थे जो 90 के दशक से कार्य कर र
हे थे लेकिन सब समूहों को एक मंच पर लाने का कार्य 2010 में हुआ। उन्होंने बताया कि उस समय थुरल क्षेत्र के पास बनाऊ में एक नवविवाहिता को ससुराल पक्ष द्वारा जला दिया गया था
उस समय न्याय के लिए महिलाओं ने पुलिस थाना और सडक़ों पर कई प्रदर्शन किए लेकिन उस लडक़ी की मौत हो गई। इस घटना के बाद ससुराल पक्ष पर केस दर्ज हुआ। यही वह दर्दनाक घटना थी जिसके बाद सभी महिलाएं एक मंच पर आ गईं। इस घटना के बाद वीना जम्वाल ने सभी महिलाओं को एकजुट किया। इसके बाद आसपास जब कोई अन्याय होता था तो ये महिलाएं एकत्रित हो जाती थीं। धीरे-धीरे संगठन ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ कर उनके जीवन की दिशा बदल डाली।
महिलाओं के संघर्ष से लाहड़ू स्कूल हाई स्कूल करवाया
यह महिलाएं 90 के दशक से ईरा संस्था (सोसायटी फार इनवायरमेंट एंड रूरल अवेकिंग) के बैनर तले जुड़ गईं।
उस समय चंगर क्षेत्र में ईरा संस्था डा. अरुण चंदन और प्रदीप शर्मा के मार्गदर्शन में कार्य कर रही थी। संस्था ने महिलाओं को एकत्रित कर कई सामाजिक कार्यों में सहभागिता सुनिशिचत की। ईरा संस्था के निदेशक प्रदीप शर्मा कहते हैं कि 1991 की बात है जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शांता कुमार थे तो संस्था ने
लाहड़ू स्कूल को हाइई स्कूल के रूप में स्तरोन्नत करने की मांग रखी क्योंकि उस समय स्कूल बहुत कम थे आऔर परि
वहन सुविधा भी नहीं थी तो बच्चों को बहुत दूर शिक्षा के लिए जाना पड़ता था। तो कई महिला मंडलों जो बाद में चंगर महिला संगठन के बैनर तले आए उन्होंने स्कूल के लिए संघर्ष किया। इस दाौरान मुख्यमंत्री का काफिला भी रोका गया था। इस संघर्ष के बाद यह मांग पूरी हुई थी और क्षेत्र में एक विश्वास बन गया था।प्रदीप शर्मा ने बताया कि इईरा संस्था के सहयोग से चंगर क्षेत्र के विकास के लिए कई मुहिमें चलाई गईं। क्षेत्र की कठिन भाौगोलिक परिस्थतियों के चलते एक गांव से दूसरे गांव तक पहुंचना मुश्किल होता था तो आंदोलन कर
के खड्डों में झूला पुलों का भी निर्मार्ण किया गया जिससे क्षेत्र में लोगों को काफी सुविधा मिली। हालांकि 90 के दशक में यहां जीवन बहुत कठिन था महिलाओं के जुनून और जिद तथा ईरा के मागदर्शन में यह संभव
हो सका।
विभिन्न प्रशिक्षण लेकर आर्थिकी को कर रही सुदृढ़
चंगर महिला मंडल से खुंडिया व थुरल करीब चंगर की 10 पंचायतों की 300 महिलाएं जुड़ी हैं। इसमें कई महिला मंडल व स्वयं सहायता समूह जुड़े हैं। जिनमें मुख्य रूप से राधे कृष्ण स्वयं सहायता समूह, जागृति स्वयं सहायता समूह, ओम नमो शिवाय स्वयं सहायता
समूह, आस्था, शिव, नई किरण, विकास व ठंबा आदि स्वयं सहायता समूहों के साथ-साथ कइ महिला मंडल भी जुड़े हैं। ईरा (सोसायटी फार इनवायरमेंट एंड रूरल अवेकिंग) संस्था द्वारा इनको समय समय पर कई ट्रेनिंग करवाइई जा रही हैं। यह महिलाएं कइई तरह के अचार, चटनी बनाकर उन्हें बेच रही हैं। इसके अलावा मशरूम ट्रेनिंग के बाद संगठन से जुड़ी महिलाएं भारी मात्रा में मशरूम का उत्पादन कर उन्हें आसपास
के गांवों आऔर डिमांड पर बाजार में बेच रही हैं। प्रदीप शर्मा ने बताया कि अब महिलाएं क्षेत्र की कइई महिलाओं को अपने साथ जोडक़र आर्थिक रूप से मजबूत कर रही हैं। इनके बनाए उत्पाद अब कइई बड़ी दुकानों में भी बेचे जा रहे हैं आऔर बड़ी मार्केट को तलाशने के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्राकृतिक खेती की राह को अपनाया
संगठन से जुड़ी अमिता ठाकुर ने बताया कि चंगर क्षेत्र की ये महिलाएं प्राकृतिक खेती को अपनाकर मटर, गोभी अन्य सजियों के साथ गेहूं, मक्की आऔर दालों को तैयार कर रही हैं। अमिता ठाकुर ने बताया कि यह पूरी तरह से कैमिकल रहित हैं। इन सजियों को आसपास के गांवों में और मांग पर बाजार में बेचा जा रहा है। वहीं संगठन से जुड़ी रजनीश, पूनम, मीनाक्षी, सपना, वंशिका, पायल, दीक्षा राणा, मीना देवी, अनु देवी, सोनिका कुमारी, सरोज कुमारी, बिंदिया बाला, प्रियंका ठाकुर, रशमा देवी, सविता कुमारी, बनिता देवी, नीतू बाला ने बताया कि महिलाओं द्वारा कई तरह की ट्रेनिंग इईरा संस्था व अन्य तरीकों से करवाई जाती है जिससे उनको अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि नैशनल आऑगेर्गेनाइईजेशन पफार यूथ एंड रूरल डेवलपमेंट द्वारा नाबार्ड के सहयोग से अभी हाल ही में बेकरी प्रशिक्षण भी दिलवाया गया इसके बाद उन्होंने बेकरी उत्पाद तैयार करके मेलों में बेचे हैं। उन्होंने बताया कि वह नाबार्ड द्वारा आयोजित मेलों में, मंडी के अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले, कुल्लू के अंतरराष्ट्रीय मेलों के अलावा प्रदेश में जगह जगह होने वाले मेलों में अपने उत्पाद बेचती हैं। इसके अलावा लोकल मार्केट में भी दालें, अचार आदि बेचा जाता है।