हिमाचल सरकार का नशे के खिलाफ सख्त फैसला – पुलिस भर्ती से पहले अब डोप टेस्ट अनिवार्य
डोप टेस्ट एक मेडिकल जांच है, जिसमें व्यक्ति के खून या मूत्र के नमूने से यह पता लगाया जाता है कि उसने कोई नशीली चीज — जैसे चिट्टा, हेरोइन, कोकीन या अन्य ड्रग्स — का सेवन तो नहीं किया। सिर्फ पुलिस भर्ती ही नहीं, बल्कि अब हर सरकारी नौकरी में शामिल होने वाले युवाओं को यह शपथ पत्र देना होगा कि वे नशे से पूरी तरह दूर हैं।
1. सरकार ने क्या फैसला लिया है कि नशे की समस्या को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?
सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि अब हिमाचल के हर जिले में नशा मुक्ति केंद्र खोले जाएंगे। इसके लिए 15 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।
नशे की रोकथाम को जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए आशा वर्कर और पंचायत सहायकों की मदद से निगरानी टीमें बनाई जाएंगी, जो गांव-गांव जाकर निगरानी और जनजागरूकता का काम करेंगी।
हिमाचल सरकार ने ड्रग्स से जुड़े मामलों को नियंत्रित करने के लिए PIT-NDPS एक्ट लागू किया है, जिसके तहत अब तक 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 42 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी है।
इसके साथ ही राज्य के सभी पुलिस थानों को A, B, C और D ग्रेड में बांटने का निर्णय लिया गया है, ताकि संसाधनों का बेहतर वितरण और निगरानी व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
हिमाचल सरकार के ये फैसले यह स्पष्ट करते हैं कि अब राज्य में नशे के खिलाफ “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाई जा रही है।
मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की है कि वे भी इस मुहिम में सरकार का साथ दें और नशा मुक्त, सुरक्षित और स्वस्थ हिमाचल के निर्माण में योगदान करें।