146 किलो की महिला को एम्स ने दी नई जिंदगी, डॉक्टरों ने की जटिल सर्जरी सफल
नई दिल्ली/25/08/2025
नई दिल्ली: एम्स (AIIMS) नई दिल्ली के डॉक्टरों ने एक बार फिर मेडिकल साइंस का चमत्कार कर दिखाया है। संगम विहार की 44 वर्षीय महिला, जिनका वजन 146.5 किलो और बीएमआई 80.4 था, को डॉक्टरों ने स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी (Sleeve Gastrectomy) जैसी बेहद जटिल और जोखिमभरी सर्जरी कर नई जिंदगी दी है। यह मामला ‘सुपर-सुपर मोटापा’ श्रेणी का है, जिसमें बीएमआई 60 से अधिक होता है और मरीज की जान के लिए गंभीर खतरा बना रहता है।
महिला पिछले 12 सालों से लगातार बढ़ते वजन और सांस लेने में कठिनाई से परेशान थीं। हाल के महीनों में स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि वह दिन-रात सीपीएपी (CPAP) मशीन पर निर्भर थीं और उनका जीवन बिस्तर तक सीमित हो गया था। टाइप-2 रेस्पिरेटरी फेल्योर, गंभीर स्लीप एपनिया, पल्मोनरी हाइपरटेंशन, राइट हार्ट फेल्योर और लिवर सिरोसिस जैसी बीमारियों ने हालात और बिगाड़ दिए थे।
चार महीने पहले उन्हें सेंट स्टीफन और आरएमएल अस्पताल से रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने इलाज से हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद मरीज को एम्स लाया गया और आईसीयू में भर्ती कर उनकी स्थिति को स्थिर किया गया। फिर डॉ. मन्जूनाथ मारुति पोल की अगुवाई में सर्जरी टीम, एनेस्थीसिया, पल्मोनरी और कार्डियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने मिलकर जोखिमभरी सर्जरी को सफल बनाया। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों को 15 सेंटीमीटर मोटी वसा, लिवर डिजीज और वेंटिलेशन की चुनौतियों से जूझना पड़ा।
सर्जरी के बाद अब मरीज की स्थिति तेजी से सुधर रही है। वह दिन में बिना CPAP मशीन के रह पा रही हैं और फिजियोथेरेपी की मदद से धीरे-धीरे चलने लगी हैं। डॉक्टरों का मानना है कि आने वाले महीनों में उनका वजन काफी घटेगा, जिससे पल्मोनरी हाइपरटेंशन और लिवर डिजीज में सुधार होगा।
मरीज ने भावुक होते हुए कहा— “जब मुझे एम्स लाया गया था तब मुझे लगा कि मेरी मौत नजदीक है। मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मैं बच पाऊंगी, लेकिन एम्स के डॉक्टरों ने मेरी जान बचा ली। मैं उनका तहे दिल से शुक्रगुजार हूं।”
यह सफलता न सिर्फ एम्स के डॉक्टरों की काबिलियत को दर्शाती है, बल्कि हजारों मोटापे से जूझ रहे मरीजों के लिए भी उम्मीद की किरण है।