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चार गुना मुआवजा देने के हिमाचल हाइकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

High Court

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है, जिसके तहत फोरलेन प्रभावितों को चार गुना मुआवजा देने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति नोंगमेइकापम कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, जिसमें राज्य उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार की ओर से 1 अप्रैल 2015 को जारी फैक्टर 1 की अधिसूचना को निरस्त कर दिया था।


इस अधिसूचना के निरस्त होने के बाद हिमाचल सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना प्रभावितों को चार गुना मुआवजा देने के आदेश दिए गए थे। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सुशील कुकरेजा की अदालत ने केशव राम और कर्म चंद व अन्य बनाम मामले में 22 मई को इस बारे में फैसला दिया था। याचिका में बताया गया था कि सरकार ने गलत ढंग से फैक्टर-एक की अधिसूचना जारी की थी, जबकि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में फेक्टर 2 के तहत चार गुना मुआवजे का प्रावधान है।


क्या है फैक्टर 1 और 2 वर्ष 2013 में भारत सरकार की ओर से नया भूमि अधिग्रहण कानून देशभर में लागू किया गया। इसमें प्रावधान है कि शहरी क्षेत्रों में फेक्टर 1 के तहत दो गुना, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में फेक्टर 2 के तहत चार गुना मुआवजा दिया जाएगा। प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने यहां पर सिर्फ फैक्टर 1 को ही लागू किया। फैक्टर 1 के तहत प्रदेश में जो भी परियोजनाएं केंद्र व प्रदेश सरकार की बनी हैं, उनके लिए जो भी जमीन अधिग्रहित की गई, उसके प्रभावितों को सिर्फ दो गुना ही मुआवजा दिया गया है। फैक्टर 2 के लागू होने से सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों के प्रभावितों को चार गुना मुआवजा अदा करना होगा।

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