पर्यटन निगम कार्यालय स्थानांतरण के विरोध में गरजा शिमला
25 अगस्त को विधानसभा का घेराव
शिमला ।17।08।2025
शिमला। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) का मुख्यालय शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राजधानी शिमला में पर्यटन कारोबार से जुड़े सैंकड़ों लोगों ने बिंदुराज धर्मशाला शिमला में एक अधिवेशन आयोजित किया। इसमें होटल संचालकों, होम स्टे, बीएंडबी, रेस्तरां, टुअर एंड ट्रेवल संचालकों, टैक्सी यूनियनों, गाइडों, ड्राइवरों, मजदूरों, कुलियों, हस्तशिल्पियों, दुकानदारों व किसानों तक विभिन्न वर्गों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। अधिवेशन में फैसला लिया गया कि सरकार की इस "पर्यटन विरोधी व जनता विरोधी नीति" के खिलाफ 22 अगस्त को शिमला उपायुक्त कार्यालय और 25 अगस्त को विधानसभा के बाहर विशाल रैली की जाएगी। अधिवेशन को गाइड एंड टुअर एंड ट्रेवल एसोसिएशन अध्यक्ष हरीश व्यास, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, थ्री स्टार टैक्सी यूनियन अध्यक्ष एवं संयुक्त कार्रवाई समिति चेयरमैन राजेंद्र ठाकुर, देवभूमि क्षत्रिय संगठन प्रदेशाध्यक्ष रूमित ठाकुर, पूर्व महासचिव एचपीटीडीसी एम्पलाइज यूनियन एडवोकेट ओम प्रकाश गोयल, सीटू उपाध्यक्ष जगत राम, टैक्सी यूनियनों के पदाधिकारी और कई अन्य संगठनों के नेताओं ने संबोधित किया। नेताओं ने कहा कि शिमला पिछले दो सौ वर्षों से विश्व मानचित्र पर पर्यटन नगरी के रूप में जाना जाता रहा है। प्रदेश में पर्यटन से होने वाले राजस्व का सबसे बड़ा हिस्सा शिमला से ही आता है। यहां होटल, होम स्टे, ट्रेवल एजेंसियां, टैक्सी व घोड़ा-याक सेवाएं, गाइड, दुकानदार और हस्तशिल्पी जैसे लाखों लोग पर्यटन पर निर्भर हैं। ऐसे में निगम कार्यालय को शिमला से हटाना न केवल आर्थिक रूप से अव्यावहारिक है, बल्कि इससे लाखों लोगों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन निगम के अधिकांश कामकाज सचिवालय शिमला स्थित अधिकारियों की देखरेख में होते हैं, जिनमें मुख्य सचिव, वित्त सचिव, पर्यटन सचिव और मुख्यमंत्री तक शामिल होते हैं। ऐसे में मुख्यालय को धर्मशाला ले जाने से निगम पर अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा और प्रशासनिक कार्यकुशलता भी प्रभावित होगी। साथ ही, पर्यटन निगम के कर्मचारी शिमला स्थित ईपीएफ कार्यालय के दायरे में आते हैं। मुख्यालय स्थानांतरित होने से कर्मचारियों को अपने काम करवाने के लिए कई सौ किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा, जिससे उन्हें भारी आर्थिक व समय की हानि होगी। नेताओं ने साफ चेतावनी दी कि अगर सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया तो पर्यटन कारोबार से जुड़े वर्ग सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। अधिवेशन ने एक स्वर में मांग उठाई कि सरकार तुरंत इस "जनविरोधी व पर्यटन विरोधी" निर्णय को रद्द करे और निगम कार्यालय को शिमला में ही यथावत बनाए रखे।