कुल्लू में दर्दनाक हादसा : बंदरों से बचते-बचते छत से गिरे सेवानिवृत्त शिक्षक, मौके पर मौत
रामपुर व आसपास में बंदरों का आतंक विकराल
कुल्लू |20|08|2025
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के विकास खंड निरमंड की ब्रौ पंचायत में बुधवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ। बंदरों से बचने की कोशिश में 65 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक देश लाल गौतम अपने ही चार मंजिला मकान की छत से नीचे गिर पड़े। गंभीर चोट लगने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हादसे का विवरण पुलिस थाना से मिली जानकारी के अनुसार, देश लाल गौतम रोजाना की तरह सुबह अपने घर की छत पर पक्षियों को दाना डालने गए थे। सुबह करीब 6:15 बजे जैसे ही वे दाना डालकर लौटने लगे तो अचानक बंदरों का एक झुंड वहां आ धमका। बंदरों के हमले से बचने की कोशिश में उनका संतुलन बिगड़ गया और वे चार मंजिला मकान से नीचे जा गिरे। परिजनों और स्थानीय लोगों ने तुरंत उन्हें खनेरी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है। मामले की पुष्टि करते हुए डीएसपी आनी चंद्रशेखर कायथ ने बताया कि छत से गिरने के कारण एक व्यक्ति की मौत हुई है और मामले की जांच जारी है। बंदरों का बढ़ता आतंक यह हादसा बंदरों की लगातार बढ़ती समस्या की गंभीरता को उजागर करता है। रामपुर शहर सहित जगातखाना और ब्रौ पंचायत में बंदरों का आतंक पिछले कई वर्षों से बना हुआ है। लोग आए दिन इनसे परेशान रहते हैं और बच्चों तथा बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर खौफजदा हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर परिषद रामपुर ने बंदरों को पकड़ने के लिए वन विभाग को धनराशि भी उपलब्ध करवाई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। हालात यह हैं कि लोग सुबह-शाम घरों से बाहर निकलने में भी डर महसूस करते हैं। कचरे से बढ़ रही समस्या क्षेत्र में खुले में कचरा फेंके जाने के कारण बंदरों की संख्या और उनका आतंक तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कचरा प्रबंधन की ठोस व्यवस्था न की गई तो आने वाले समय में यह समस्या और भी विकराल रूप ले सकती है। लोगों की नाराज़गी और प्रशासन से मांग ब्रौ पंचायत और आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग और प्रशासन बंदरों की समस्या पर सिर्फ आश्वासन दे रहा है, जबकि स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। लोगों ने मांग की है कि बंदरों को पकड़ने और उन्हें जंगलों में शिफ्ट करने की तत्काल मुहिम चलाई जाए, ताकि इस तरह की दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।