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हिमाचल में बिजली बोर्ड संयुक्त मोर्चा ने सरकार की अधिसूचना को दी चुनौती, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

शिमला /23/08/2025

high court

शिमला। हिमाचल प्रदेश में बिजली क्षेत्र को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और अभियंताओं के संयुक्त मोर्चा ने प्रदेश सरकार की ओर से 9 जून 2025 को जारी अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। अधिसूचना के तहत हिमाचल प्रदेश एनर्जी मैनेजमेंट सेंटर (EMC) को बिजली की खरीद-फरोख्त और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संयुक्त मोर्चा का आरोप है कि इससे हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (HPSEBL) और हिमाचल प्रदेश स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (HPSLDC) के अधिकारों का हनन हो रहा है।

याचिका में कहा गया है कि यदि एनर्जी मैनेजमेंट सेंटर केवल बिजली की ट्रेडिंग तक सीमित रहे तो कोई आपत्ति नहीं, लेकिन सरकार की अधिसूचना से बोर्ड और एचपीएसएलडीसी के मूल कार्य प्रभावित हो रहे हैं। मोर्चा ने चेताया कि इस व्यवस्था से ग्रिड संचालन बाधित हो सकता है और उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना मुश्किल होगा।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि यह कदम रेगुलेटरी कमीशन और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट-2003 के प्रावधानों के खिलाफ है। साथ ही, भारत सरकार पहले ही ग्रिड मॉनिटरिंग के लिए 32 एजेंसियां नोटिफाई कर चुकी है। ऐसे में राज्य सरकार की अधिसूचना न केवल अनावश्यक बल्कि अव्यवहारिक भी है।

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसे मानते हुए राज्य सरकार ने समय मांगा और अदालत ने मंजूर किया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर 2025 को होगी।

अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि याचिका पर अंतिम निर्णय आने तक अधिसूचना से संबंधित कोई भी कार्रवाई कोर्ट के आदेशों के अधीन होगी।

इस याचिका में प्रतिवादी के तौर पर राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग, हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटेड, हिमाचल प्रदेश ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड, हिमाचल प्रदेश स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर, हिमाचल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन, हिमाचल प्रदेश एनर्जी मैनेजमेंट सेंटर, सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी, सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन लिमिटेड, नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर, नॉर्दर्न रीजन लोड डिस्पैच सेंटर और नॉर्दर्न रिजनल पावर कमेटी को शामिल किया गया है।

यह मामला अब हिमाचल प्रदेश में ऊर्जा और बिजली क्षेत्र के प्रबंधन, संचालन और अधिकारों की परिभाषा तय करने वाली अहम कानूनी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है।

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