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मोबाइल पर समन भेजेगी अदालत, नए कानून से बदलेगी व्यवस्था

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देश में अदालतों की कार्यप्रणाली में अब बड़ा बदलाव होने जा रहा है। नए कानून के तहत अदालतें अब पारंपरिक तरीके से समन भेजने की बजाय डिजिटल प्रणाली का इस्तेमाल करेंगी। यानी अब आरोपी और गवाहों को अदालत से मिलने वाले समन, वारंट और अन्य कानूनी आदेश सीधे मोबाइल पर डिजिटल कॉपी के रूप में भेजे जाएंगे। इस नई व्यवस्था से न्यायिक प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी बनेगी।

इस विषय पर हाल ही में केंद्रीय गृह सचिव ने सचिवालय में अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि ई-कोर्ट और ई-पेशी प्रणाली को लागू किया जाएगा। इसके तहत अदालतों द्वारा जारी आदेश पहले डिजिटल रूप में तैयार किए जाएंगे और फिर उन्हें संबंधित पुलिस अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को भेजा जाएगा। उसके बाद मोबाइल ऐप या संदेश सेवा (SMS/WhatsApp जैसी डिजिटल प्लेटफॉर्म) के जरिए आरोपी और गवाह तक समन और नोटिस पहुंचेंगे। इससे अदालत की कार्यवाही अधिक तेज़, सरल और भरोसेमंद होगी।

बैठक में यह भी तय हुआ कि साइबर फॉरेंसिक लैब बनाने के लिए संबंधित अधिकारियों को प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इसका उद्देश्य यह है कि साइबर अपराध से जुड़े मामलों को जल्दी हल किया जा सके और डिजिटल सबूतों को सुरक्षित तरीके से अदालत में पेश किया जा सके।

नई व्यवस्था में ई-समन पूरी तरह डिजिटल तरीके से जारी होगा। अदालत द्वारा बनाए गए समन, वारंट और आदेश पहले ईमेल और ऑनलाइन पोर्टल पर पुलिस व संबंधित विभागों को भेजे जाएंगे। उसके बाद मोबाइल नंबर पर डिजिटल कॉपी ट्रांसफर की जाएगी। इस प्रक्रिया में हर आदेश का रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रहेगा, ताकि बाद में कोई विवाद न हो।

इसके अलावा ई-कोर्ट और ई-पेशी प्रणाली के जरिए अब आरोपी और गवाह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हो सकेंगे। इस कदम से न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि लंबी दूरी तय करने की परेशानी से भी राहत मिलेगी। खासकर जेलों में बंद कैदियों को पेशी पर अदालत लाने की झंझट खत्म होगी, क्योंकि वे सीधे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हो जाएंगे।

केंद्रीय गृह सचिव ने साफ किया कि मोबाइल और डिजिटल व्यवस्था के लागू होने से अपराध से जुड़े मामलों का निपटारा तेज़ी से होगा। खासतौर पर साइबर क्राइम और तकनीक से जुड़े अपराधों को सुलझाने में यह प्रणाली बड़ी मददगार साबित होगी। साथ ही अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने में भी यह नई व्यवस्था अहम भूमिका निभाएगी।

इस तरह आने वाले समय में अदालत से जुड़े नोटिस, समन और पेशी जैसी प्रक्रियाएं पूरी तरह डिजिटल होंगी और लोगों को इनके लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

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