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शिमला पर्यटन बचाओ संघर्ष: निगम कार्यालय धर्मशाला शिफ्ट करने के विरोध में उबाल

शिमला/25/08/2025

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) का मुख्यालय शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित करने के फैसले के खिलाफ राजधानी शिमला में जोरदार विरोध शुरू हो गया है। पर्यटन कारोबार से जुड़े सैकड़ों लोग शिमला पर्यटन बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले भारी बारिश के बावजूद विधानसभा शिमला के बाहर इकट्ठे हुए और सरकार के इस निर्णय के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

चौड़ा मैदान में हुए इस प्रदर्शन में होटल संचालकों, होम स्टे और बीएंडबी मालिकों, रेस्तरां संचालकों, टूर एंड ट्रेवल व्यवसायियों, टैक्सी यूनियनों, गाइडों, घोड़े और याक वालों, प्रैम संचालकों, ड्राइवरों, मजदूरों, कुलियों, हस्तशिल्पियों, शिल्पकारों, दुकानदारों और किसानों समेत पर्यटन से जुड़े हर वर्ग के लोग शामिल रहे।

संघर्ष समिति की ओर से गाइड एंड टूर एंड ट्रेवल एसोसिएशन अध्यक्ष हरीश व्यास, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और ज्वाइंट एक्शन कमेटी हिमाचल प्रदेश चेयरमैन राजेंद्र ठाकुर ने नेतृत्व किया। इसके अलावा विभिन्न टैक्सी यूनियनों और व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी विरोध में भाग लिया।

नेताओं ने कहा कि शिमला पिछले दो सौ वर्षों से विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है और प्रदेश के पर्यटन राजस्व का बड़ा हिस्सा यहीं से आता है। ऐसे में निगम कार्यालय को धर्मशाला शिफ्ट करना न केवल शिमला बल्कि पूरे प्रदेश के पर्यटन कारोबार पर नकारात्मक असर डालेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का यह निर्णय जनता विरोधी, पर्यटन विरोधी और निगम कर्मचारियों के लिए नुकसानदायक है।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि शिमला में होटल संचालकों, होम स्टे मालिकों, टैक्सी यूनियनों, गाइडों और हजारों कारोबारियों की सबसे अधिक संख्या है, जिनकी रोज़ी-रोटी पर्यटन पर ही निर्भर है। निगम कार्यालय स्थानांतरित होने से लाखों लोगों की आजीविका पर संकट खड़ा हो जाएगा।

नेताओं ने यह भी कहा कि पर्यटन निगम के कर्मचारी शिमला स्थित ईपीएफ कार्यालय के दायरे में आते हैं। यहां कार्यालय होने से उन्हें काम करवाने में आसानी रहती है, लेकिन धर्मशाला स्थानांतरण के बाद कई सौ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। इससे न केवल समय की बर्बादी होगी, बल्कि आर्थिक हानि भी झेलनी पड़ेगी। इसके अलावा निगम पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा क्योंकि इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल मुख्य सचिव, वित्त सचिव, पर्यटन सचिव और अन्य अधिकारी शिमला में ही कार्यरत हैं। दूर से निगम चलाना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।

प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में मांग की कि सरकार इस फैसले को तुरंत निरस्त करे और निगम मुख्यालय को शिमला में ही बनाए रखे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि निर्णय वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।

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