हिमाचल की पीच वैली राजगढ़ में आडू उत्पादन 85 फीसदी घटा, बागवान हुए मायूस
राजगढ़ (सिरमौर)। हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध पीच वैली राजगढ़ में आडू़ उत्पादन लगातार सिमटता जा रहा है। पिछले 25 साल में यहां आडू़ की पैदावार करीब 85 फीसदी घट गई है। इसके पीछे मुख्य कारण उचित दाम न मिलना, विपणन खर्चों में भारी वृद्धि, ग्लोबल वार्मिंग और फसल को नष्ट करने वाली वायरस जनित बीमारी फाइटोप्लाज्मा है।
सुनहरे दौर से गिरावट तक
राजगढ़ में आडू की शुरुआत 70 के दशक में हुई थी। भाणत निवासी स्व. लक्ष्मीचंद वर्मा ने सबसे पहले आडू़ के पौधे लगाए थे। शुरुआती दौर में संदेह जताने वालों को पीछे छोड़ते हुए, आडू़ की खेती ने बागवानों को बेहतर आमदनी दी और यह कारोबार 1978 से 2000 के बीच बुलंदी पर पहुंचा।
जिला सिरमौर में आडू़ के बगीचों का क्षेत्र कभी पांच हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया था और उत्पादन 7 से 8 हजार मीट्रिक टन तक दर्ज हुआ। इसी को देखते हुए 5 मई 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राजगढ़ को पीच वैली ऑफ हिमाचल घोषित किया था।
अब हालात बिगड़े
फिलहाल जिला में आडू का क्षेत्र घटकर सिर्फ 1250 हेक्टेयर रह गया है और उत्पादन भी घटकर मात्र 1200 मीट्रिक टन पर सिमट गया है।
वजह साफ है—फाइटोप्लाज्मा रोग से बगीचों का नष्ट होना, मौसम की मार और बढ़ते विपणन खर्च।
70 के दशक में जहां एक पेटी दिल्ली मंडी में 150–200 रुपये में बिकती थी और खर्च 15–20 रुपये आता था, वहीं आज दाम मुश्किल से 450 रुपये तक ही पहुंच पाते हैं जबकि खर्च बढ़कर 200–250 रुपये प्रति पेटी हो गया है।
बंद पड़े प्रोसेसिंग यूनिट
धौलाकुआं, बागथन और राजगढ़ में 70 के दशक में स्थापित की गई तीन फूड प्रोसेसिंग यूनिट अब बंद पड़ी हैं। इससे भी आडू़ उत्पादकों को बाजार में सहूलियत नहीं मिल पा रही है।
उत्पादन के हाल (हैक्टेयर व मीट्रिक टन में)
2020-21 : 1700 है. – 2083 एमटी
2021-22 : 1900 है. – 2820 एमटी
2022-23 : 1257 है. – 600 एमटी (सबसे कम)
2023-24 : 1282 है. – 1947 एमटी
2024-25 : 1211 है. – 1210 एमटी
बागवानों का रुख बदला
क्षेत्र के कई बागवान अब आडू़ की बजाय सेब, प्लम और कीवी की ओर रुख कर रहे हैं। प्रगतिशील किसान विनोद तोमर, सुरेंद्र तोमर और रविदत्त भारद्वाज का कहना है कि उचित दाम और बीमारियों से निजात न मिलने के कारण उन्होंने आडू़ छोड़कर अन्य फसलों का सहारा लिया है।
विशेषज्ञों की राय
पूर्व उपनिदेशक उद्यान विभाग डॉ. एसके कटोच का कहना है कि सरकार को बागवानों के लिए कोल्ड स्टोरेज, रेफ्रिजरेटिड वाहन और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने की जरूरत है, ताकि क्षेत्र के किसान फिर से आडू़ उत्पादन में रुचि लें और ‘पीच वैली’ की पहचान बरकरार रह सके।