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हिमाचल पर कर्ज़ 98,182 करोड़, विधानसभा में सीएम सुक्खू का बड़ा बयान

शिमला/27/08/2025

CM SUKHU

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र 2025 में राज्य के ऊपर बढ़ते कर्ज को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। भाजपा विधायकों जनकराज और त्रिलोक जम्वाल द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश पर इस समय 98,182 करोड़ रुपये का कर्ज है और आने वाले महीनों में यह आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये पार करने वाला है।

सीएम के जवाब के अनुसार, जून 2023 से लेकर अब तक राज्य सरकार ने खुले बाजार से 20,350 करोड़ रुपये का लोन लिया है। इसके अलावा नाबार्ड से 1,775 करोड़, केंद्र सरकार से एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट्स के तहत 339 करोड़ और ब्याज मुक्त लोन योजना में 4,348 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया। इन सभी को मिलाकर सुक्खू सरकार ने अब तक 26,830 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। इसी अवधि में राज्य सरकार ने 8,253 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया भी है। इसके अतिरिक्त जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) से 2,941 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया है।

सरकार की ओर से बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में मूलधन चुकाने के लिए 4,243 करोड़ रुपये और ब्याज भुगतान के लिए 6,738 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है। राज्य की सीमित आय और संसाधनों के कारण सरकार को केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है।

जीएसटी लागू होने के बाद बढ़ी मुश्किलें जवाब में यह भी कहा गया कि जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद हिमाचल को वित्तीय हानि हुई। इसकी भरपाई 2022 तक केंद्र सरकार करती रही, लेकिन बाद में यह बंद हो गई। साथ ही, वित्त आयोग की ओर से मिलने वाली रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट भी घटकर 11,431 करोड़ से कम होकर अब केवल 3,257 करोड़ रुपये रह गई है।

जीएसडीपी अनुपात से ज्यादा कर्ज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश का कर्ज जीएसडीपी (Gross State Domestic Product) अनुपात से अधिक है और देशभर के राज्यों में हिमाचल तीसरे स्थान पर है।

आय बढ़ाने के प्रयास सरकार की ओर से दावा किया गया है कि आय बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें आबकारी नीति में बदलाव, मिल्क सेस, वैट में बढ़ोतरी, पुलिस कर्मियों के बस किराए में वृद्धि और अवैध खनन पर सख्ती जैसे उपाय शामिल हैं।

हिमाचल पर कर्ज़ का यह बढ़ता बोझ राज्य की अर्थव्यवस्था और विकास योजनाओं पर गहरी छाप छोड़ रहा है और आने वाले समय में सरकार के लिए इसे नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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