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आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों को पेंशन देने पर सरकार ने अनुपालना रिपोर्ट दी

high court

प्रदेश हाईकोर्ट में लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की पेंशन को लेकर सरकार ने अनुपालना रिपोर्ट दाखिल की है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की अदालत ने इस मामले की सुनवाई की। 21 मई 2025 को तत्कालीन न्यायमूर्ति तरलोक चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने राज्य सरकार को 12 अधिसूचना की पुनः समीक्षा करने और उसमें संशोधन करने का निर्देश दिया था। इस अधिसूचना के अंतर्गत सार्वजनिक सेवा आयोग के गैर-आधिकारिक अध्यक्षों और सदस्यों को पेंशन का प्रावधान था।

अदालत ने कहा था कि पेंशन की राशि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) से जोड़ी जाए और इसे केरल उच्च न्यायालय के निर्णय की तर्ज पर संशोधित किया जाए। इसे लेकर आयोग के पूर्व अध्यक्ष केएस तोमर ने 2020 में एक याचिका दायर की थी। खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने यह भी उल्लेख किया था कि 12 मार्च 2004 की अधिसूचना से पेंशन व्यवस्था तो लागू हुई थी, लेकिन महंगाई में भारी बढ़ोतरी के बावजूद इसे कभी संशोधित नहीं किया गया। आदेश में कहा गया था कि, यह विवादित नहीं है कि अध्यक्ष और सदस्य हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (सदस्य) विनियम, 1974 के तहत पेंशन पाने के हकदार हैं।

इन परिस्थितियों में हम यह उचित समझते हैं कि राज्य सरकार उक्त अधिसूचना की पुनः समीक्षा करे और सीपीआई तथा केरल उच्च न्यायालय के निर्णय को ध्यान में रखकर संशोधित करे। इधर, पूर्व अध्यक्ष केएस तोमर ने अनुपालना रिपोर्ट की सामग्री पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा पूर्व जयराम ठाकुर सरकार ने टालमटोल की नीति अपनाई थी, इसलिए उन्हें न्याय पाने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। वर्तमान सरकार ने कम से कम इसे सुलझाने की कोशिश की है, हालांकि उनकी प्राथमिकता केरल पैटर्न थी, जिसमें संवैधानिक पद की गरिमा के अनुरूप पेंशन राशि तय की गई है। यह फैसला किसी व्यक्तिगत स्तर का नहीं है, बल्कि देश के किसी भी लोक सेवा आयोग की ओर से अपनाया जा सकता है।

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