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मंडी लैंडस्लाइड में नहीं बची मरीज की जान: बेटे ने SDM पर लापरवाही का लगाया आरोप

मंडी/29/08/2025

naresh

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में लैंडस्लाइड से बंद चंडीगढ़–मनाली नेशनल हाईवे पर एक बड़ा मामला सामने आया है। कुल्लू के बंजार निवासी नरेश पंडित ने आरोप लगाया है कि हाईवे बंद होने के कारण उनकी बीमार मां को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका, जिससे उनकी मौत हो गई। नरेश ने मंडी के एसडीएम पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन की समय पर मदद मिलती तो उनकी मां की जान बच सकती थी।

मामला बुधवार रात का है जब मंडी के नगवाई के पास बनाला क्षेत्र में भारी भूस्खलन हुआ और हाईवे पूरी तरह बंद हो गया। गुरुवार सुबह नरेश पंडित अपनी मां को अस्पताल ले जा रहे थे, तभी वे औट के पास मलबे में फंस गए। उनका कहना है कि एसडीएम और एसएचओ मौके पर मौजूद थे, लेकिन उन्होंने मदद करने के बजाय अनदेखी की। आरोप है कि ड्यूटी पर मौजूद अधिकारी शराब के नशे में थे और किसी ने सुनवाई नहीं की। नरेश का दावा है कि डेढ़ घंटे तक वे प्रशासन से मदद मांगते रहे, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। आखिरकार उन्होंने बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी से संपर्क किया, जिनके हस्तक्षेप के बाद पुलिस एस्कॉर्ट मिला और वे मां को मंडी अस्पताल ले जा सके। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और मंडी पहुंचने पर उनकी मां की मौत हो गई।

नरेश ने यह भी आरोप लगाया कि मां की मौत के बाद शव को घर तक ले जाना भी एक बड़ी चुनौती बन गया। जगह-जगह मार्ग बंद होने और लगातार बारिश से उन्हें शव को वाहन बदल-बदलकर ले जाना पड़ा। कई बार तो शव को खुद उठाकर आगे बढ़ाना पड़ा। इस दौरान वे पूरी रात कैंची मोड़ पर शव के साथ फंसे रहे।

दूसरी ओर, एसडीएम बालीचौकी देवीराम ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है। उन्होंने कहा कि वे तहसीलदार औट और थाना प्रभारी औट के साथ मौके पर मौजूद थे। लगातार पत्थर गिरने के कारण तुरंत मलबा हटाना खतरनाक था। इसी बीच एक एंबुलेंस मौके पर पहुंची जिसमें नरेश की मां को अस्पताल ले जाया जा रहा था। अधिकारियों ने मरीज को मंडी अस्पताल ले जाने की सलाह दी, जबकि परिजन कुल्लू अस्पताल ले जाने पर अड़े थे। बाद में सहमति से मरीज को मंडी अस्पताल भेजा गया और एंबुलेंस को पुलिस एस्कॉर्ट भी उपलब्ध करवाई गई। प्रशासन का कहना है कि समय पर आवश्यक कदम उठाए गए और लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।

यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और आपदा के समय त्वरित व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, जबकि दूसरी ओर अधिकारी अपने स्तर पर तत्काल कार्रवाई का दावा कर रहे हैं।

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