हिमाचल में एससी-एसटी विकास निधि कानून की मांग तेज, गठबंधन ने सरकार पर साधा निशाना
शिमला /30/08/2025
हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए "एससी-एसटी विकास निधि एक्ट" बनाने की मांग अब और अधिक मुखर हो गई है। इस मुद्दे को लेकर शनिवार को शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में राज्य गठबंधन के सदस्य डीपी चंद्रा और सुखदेव विश्वप्रेमी ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लंबे समय से एससी-एसटी उपयोजना लागू है, लेकिन यह केवल कागजों तक सीमित रह गई है और इसका असल प्रभाव जमीन पर नहीं दिखता।
डीपी चंद्रा और सुखदेव विश्वप्रेमी ने कहा कि गठबंधन के बैनर तले दर्जनों संगठन इस मुहिम में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में एससी-एसटी की आबादी लगभग 33 प्रतिशत है, जबकि बजट में उनका हिस्सा केवल 4 प्रतिशत के आसपास तय किया जाता है। 2023-24 के बजट में राज्य का कुल व्यय 42,704 करोड़ रुपये था, जिसमें से केवल 3,464 करोड़ रुपये एससी-एसटी समुदाय के लिए आवंटित किए गए थे। हैरानी की बात यह है कि इनमें से महज 185 करोड़ रुपये ही उनके हित में खर्च हो पाए, जबकि शेष राशि को अन्य मदों में डायवर्ट कर दिया गया।
सुखदेव विश्वप्रेमी और डीपी चंद्रा ने बताया कि गठबंधन ने इस मुद्दे पर कई स्तरों पर पैरवी की है और फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री को “एससी-एसटी विकास निधि एक्ट” का ड्राफ्ट बिल सौंपा गया था। इसके बावजूद सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2024 में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी यह मुद्दा उठाया गया था, लेकिन उसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। अब गठबंधन ने इस आंदोलन को "अभी नहीं तो कभी नहीं" के रूप में चलाने का संकल्प लिया है और हर जिले में कमेटियां बनाकर यह मुहिम हर घर तक पहुंचाने की योजना बनाई है।
प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार पार्टी घोषणा पत्र में किए गए वादों के अनुरूप एससी-एसटी विकास निधि एक्ट नहीं बनाती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।