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हिमाचल में आस्था का चमत्कार : आपदा के बीच निभाई गई मणिमहेश की डल तोड़ने की परंपरा

चंबा/04/09/2025

हिमाचल प्रदेश के पवित्र मणिमहेश कैलाश की डल झील में राधाष्टमी के अवसर पर होने वाली ऐतिहासिक डल तोड़ने की रस्म इस बार खराब मौसम और क्षतिग्रस्त रास्तों के कारण संकट में पड़ गई थी। परंपरा के अनुसार यह रस्म संचुई गांव के शिवजी के चेले निभाते हैं, लेकिन कठिन हालातों के चलते वे झील तक नहीं पहुंच पाए और हड़सर से ही लौटना पड़ा। ऐसे में इस परंपरा के टूटने का डर लोगों में गहराने लगा था।

हालांकि, संकट की इस घड़ी में कुगती गांव के कार्तिकेय स्वामी (जिन्हें केलंग बजीर भी कहा जाता है) के चेले आगे आए और उन्होंने आस्था के साथ इस प्राचीन परंपरा को निभाया। ऊबड़-खाबड़ रास्तों और विपरीत मौसम के बीच सिर्फ छह चेले ही डल झील तक पहुंच पाए। बेहद सीमित संख्या में श्रद्धालु वहां मौजूद थे, लेकिन पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से नारियल प्रवाहित कर डल तोड़ने की रस्म पूरी की गई।

लोकमान्यता है कि भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय स्वामी के आदेश पर ही यह रस्म निभाई जाती है और इसके बाद ही मणिमहेश झील में शाही स्नान का शुभारंभ होता है। इस बार भी तमाम मुश्किल हालातों के बावजूद आस्था ने परंपरा को टूटने नहीं दिया। इस विशेष क्षण का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कार्तिकेय स्वामी के चेले रस्म निभाते दिखाई दे रहे हैं और वहां मौजूद लोग इस आस्था से भावुक होते नजर आ रहे हैं।

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