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बड़ादेव के पूर्व गुरु लेबरु की आज बहुत खल रही कमी

मंडी/05/09/2025

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सराज घाटी की देव परंपरा में पूर्व गुरु लेबरु का नाम श्रद्धा और आस्था से जुड़ा हुआ है। आज भी उनकी अनुपस्थिति को लोग गहराई से महसूस करते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि लेबरु गुरु का ऐसा प्रभाव और ज्ञान था कि वे कुछ ही घड़ियों में मौसम बदलने की शक्ति रखते थे। कहा जाता है कि जब भी बरसात की आवश्यकता होती तो वे बरखा करवा देते थे, और जब अत्यधिक वर्षा के कारण दिक्कत होती, तो तुरंत निंबल (बरसात रोकना) करवा देते थे।

स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि लेबरु गुरु का समय सराज घाटी की देव परंपरा का स्वर्णकाल माना जाता है। उनकी साधना, विद्या और देवताओं से सीधा संवाद क्षेत्र की आस्था को और भी मजबूत बनाता था। गांव-गांव में लोग उनके प्रभाव और करिश्मे को आज भी कहानियों और स्मृतियों के रूप में सुनाते हैं।

उनकी अनुपस्थिति अब हर बड़े धार्मिक अवसर और प्राकृतिक विपत्ति के समय गहराई से महसूस होती है। श्रद्धालु कहते हैं कि आज यदि लेबरु गुरु जीवित होते, तो देव आस्थाओं के अनुष्ठानों में और भी अधिक शक्ति और प्रभाव रहता।

बड़ादेव मंदिर में आज भी श्रद्धालु उनकी स्मृति को नमन करते हैं और विश्वास जताते हैं कि उनकी आत्मा आज भी देवताओं की सेवा में संलग्न है। उनका जीवन और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

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