बिजली मित्र योजना पर बवाल: 6 हजार वेतन पर सवाल, स्थायी नीति की मांग तेज
शिमला /14/09/2025
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की जाने वाली बिजली मित्र योजना को लेकर विरोध तेज हो गया है। योजना लागू होने से पहले ही हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड आऊटसोर्स कर्मचारी संघ ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया और इसे प्रदेश के युवाओं और कर्मचारियों के भविष्य के साथ मजाक बताया।
संघ अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने सरकार से सवाल किया कि जब कोई युवा 2 साल आईटीआई कर तकनीकी शिक्षा प्राप्त करता है, तो क्या वह मात्र 6 हजार रुपए मासिक वेतन पर नौकरी करके अपना घर चला पाएगा? क्या इतनी मामूली रकम से वह अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर सकेगा? उन्होंने कहा कि इस योजना से बिजली बोर्ड में कार्यरत 500 स्किल्ड और 500 अनस्किल्ड आऊटसोर्स कर्मचारी, जो बीते 15 से 20 वर्षों से बोर्ड की मैंटीनैंस गैंग में कार्यरत हैं, बाहर किए जाने की कगार पर पहुंच गए हैं। ये वही कर्मचारी हैं जिन्होंने अपने जीवन का लंबा समय बोर्ड को दिया और हमेशा उम्मीद की कि एक दिन उन्हें स्थायी किया जाएगा, लेकिन अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि आऊटसोर्स कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। हाल ही में चम्बा में एक आऊटसोर्स कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई, जिसके पीछे उसकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी रह गए। बोर्ड ने परिवार को केवल 5 लाख रुपए मुआवजा दिया। संघ ने सवाल उठाया कि क्या कोई परिवार जीवनभर केवल 5 लाख रुपए में अपना गुजारा कर सकता है? उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सात आऊटसोर्स कर्मचारी ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन सरकार हर बार केवल मुआवजा देकर पल्ला झाड़ लेती है।
कर्मचारी संघ ने सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं—
बिजली मित्र भर्ती को तुरंत बंद किया जाए।
आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति और न्यूनतम वेतन नियम लागू किए जाएं।
ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले आऊटसोर्स कर्मचारियों के परिवार को सरकारी नौकरी दी जाए।
लंबे समय से सेवा दे रहे आऊटसोर्स कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित किया जाए।
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इन मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया तो संगठन आंदोलन करने के लिए सड़कों पर उतरने में देर नहीं करेगा।