फर्जी बीपीएल प्रमाणपत्र पर गरीबों के आवास हड़पने पर सरकारी कर्मचारी पर FIR
शिमला/14/09/2025
शिमला नगर निगम की विभागीय जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें एक महिला सरकारी कर्मचारी द्वारा गरीबों के लिए बनाए गए आवास को फर्जी बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) प्रमाणपत्र के आधार पर हासिल करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि महिला ने केंद्र सरकार के आशियाना-2 प्रोजेक्ट के तहत ढली क्षेत्र में बना एक आवास गलत दस्तावेजों के सहारे प्राप्त कर लिया, जबकि वह स्वयं एक सरकारी विभाग में कार्यरत है और बीपीएल की श्रेणी में नहीं आती।
नगर निगम की जांच में यह बात सामने आने के बाद आरोपी महिला, संतोष कुमारी, को मकान खाली करने के निर्देश भी दिए गए, लेकिन उसने इन आदेशों की अवहेलना करते हुए अब तक मकान खाली नहीं किया। इसके चलते नगर निगम के अतिरिक्त एसई एवं प्रोजेक्ट डायरेक्टर इंजीनियर धीरज कुमार ने ढली पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि बीपीएल प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में नगर निगम के वार्ड सचिव, पटवारी और तहसीलदार की अहम भूमिका होती है। ऐसे में यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि संतोष कुमारी को फर्जी प्रमाणपत्र किस तरीके से और किन अधिकारियों की मिलीभगत से जारी किया गया। अब पुलिस जांच का दायरा इन अधिकारियों और दस्तावेजों की वैधता तक भी बढ़ सकता है।
केंद्र सरकार की आशियाना-2 योजना के अंतर्गत शिमला के ढली इलाके में वर्ष 2016 से 2020 के बीच लगभग 90 पक्के मकान बनाए गए थे। इनका उद्देश्य उन गरीब परिवारों को आश्रय देना था, जिनके पास न तो जमीन है और न ही खुद का घर। इन मकानों का आवंटन बीपीएल परिवारों को किया जाना था, लेकिन समय-समय पर नगर निगम को शिकायतें मिलती रहीं कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए इन आवासों को कब्जा लिया है।
नगर निगम अब इन सभी मामलों की गंभीरता से जांच कर रहा है। संतोष कुमारी का मामला इसी सिलसिले में सामने आया पहला बड़ा उदाहरण है, जिस पर अब पुलिस कार्रवाई शुरू हो गई है। नगर निगम अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि भविष्य में अन्य मामलों में भी अनियमितता पाई गई, तो ऐसे सभी फर्जी आवंटन रद्द कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।