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अमेरिकी अदालत ने ट्रंप के टैरिफ को बताया अवैध, राष्ट्रपति बोले- देश तबाह हो जाएगा

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अमेरिका में संघीय अपील अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए अधिकांश टैरिफ कानून के अनुरूप नहीं हैं। अदालत का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम किसी राष्ट्रपति को टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता, जैसा कि ट्रंप प्रशासन ने किया था। अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए टैरिफ को राष्ट्रपति की शक्ति से बाहर करार दिया।

इस फैसले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “सभी टैरिफ अभी भी लागू हैं” और अदालत का निर्णय अत्यधिक पक्षपातपूर्ण और गलत है। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर टैरिफ हटा दिए गए तो यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह तबाह कर देगा।

ट्रंप ने मजदूर दिवस सप्ताहांत से पहले अमेरिकी कामगारों और कंपनियों के लिए टैरिफ को अहम बताते हुए कहा, “टैरिफ हमारे कामगारों और ‘मेड इन अमेरिका’ कंपनियों का समर्थन करने का सबसे अच्छा जरिया हैं। अगर इन्हें खत्म किया गया तो यह देश को आर्थिक रूप से कमजोर कर देगा।”

व्हाइट हाउस का बचाव


व्हाइट हाउस ने भी राष्ट्रपति की ओर से लगाए गए टैरिफ का बचाव किया। प्रवक्ता कुश देसाई ने कहा कि ट्रंप ने कांग्रेस द्वारा दी गई शक्तियों का वैधानिक रूप से उपयोग किया है और वे विदेशी खतरों से अमेरिका की सुरक्षा कर रहे हैं।

भारत पर भी असर

जेफरीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत पर अमेरिका का 50% भारी शुल्क राष्ट्रपति ट्रंप की व्यक्तिगत नाराजगी का परिणाम है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य तनाव में मध्यस्थता की अनुमति न मिलने से ट्रंप नाराज थे। भारत ने साफ कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ विवाद में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कृषि क्षेत्र अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता की सबसे बड़ी बाधा है। भारत में करीब 25 करोड़ किसान और कृषि मजदूर अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर हैं, जो कुल कार्यबल का लगभग 40% हिस्सा हैं। ऐसे में कृषि बाजार को विदेशी आयात के लिए खोलना राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मुद्दा है।

अमेरिका की अपील अदालत के इस फैसले ने ट्रंप प्रशासन की आर्थिक नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां अदालत इसे संवैधानिक दायरे से बाहर मान रही है, वहीं ट्रंप और व्हाइट हाउस इसे अमेरिकी सुरक्षा और समृद्धि के लिए जरूरी बता रहे हैं। आने वाले समय में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है।

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