भारत-नेपाल में विवाद की नई वजह बने बालेंद्र शाह का ग्रेटर नेपाल नक्शा
काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह नेपाल की राजनीति में सबसे चर्चित चेहरों में से एक बन गए हैं। उनकी छवि जहां नेपाल के युवाओं में एक सशक्त और ईमानदार प्रशासक की है, वहीं भारत में उन्हें अक्सर भारत-विरोधी नेता के तौर पर देखा जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह उनके वे फैसले हैं, जिन्हें सीधे भारत से जोड़ा गया।
शाह ने अपने कार्यालय में “ग्रेटर नेपाल” का नक्शा लगाया, जिसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया। उनका यह कदम भारत की नई संसद में प्रदर्शित “अखंड भारत” के नक्शे के जवाब के रूप में देखा गया। भारत में इसे एक उकसावे वाला कदम माना गया, जबकि नेपाल के एक बड़े वर्ग ने इसे राष्ट्रीय स्वाभिमान से जोड़ दिया।
इससे पहले शाह ने बॉलीवुड फिल्मों के प्रदर्शन पर भी रोक लगा दी थी। उनका तर्क था कि नेपाली संस्कृति और पहचान की रक्षा करना जरूरी है। हालांकि इस कदम को भी भारत-विरोधी रुख के तौर पर देखा गया। इन विवादित फैसलों के चलते शाह की छवि भारत के खिलाफ खड़े होने वाले नेता की बन गई है।
युवाओं के हीरो बने काठमांडू के मेयर बालेन शाह
नेपाल की राजनीति में हाल के समय में युवाओं की सबसे मजबूत आवाज़ के तौर पर काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह (बालेन) का नाम तेजी से उभरा है। 27 अप्रैल 1990 को काठमांडू में जन्मे बालेन पेशे से इंजीनियर हैं। उनके पिता एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। शाह ने उच्च शिक्षा भारत के कर्नाटक राज्य में ली, जहां उन्होंने विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बेलगावी से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की।
शाह की पहचान एक सख्त प्रशासक और ईमानदार नेता के रूप में हुई है। वे अपने दमदार भाषणों और पारदर्शी कार्यशैली से युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। नेपाल में हुए हालिया युवाओं के विद्रोह के बाद उनकी लोकप्रियता और भी बढ़ गई है। आज काठमांडू की गलियों से लेकर पूरे देश में शाह को नई राजनीति का प्रतीक माना जाने लगा है।
विश्लेषकों का मानना है कि बालेन शाह न केवल नेपाल की स्थानीय राजनीति बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी चुनौती पेश कर सकते हैं। उनके बढ़ते कद को देखकर माना जा रहा है कि आने वाले समय में वे नेपाल के सबसे असरदार नेताओं में गिने जाएंगे।