भारत कर सकता है ट्रंप के कृषि शुल्कों को अपने फायदे में तब्दील
हैदराबाद। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ा है। ट्रंप प्रशासन ने भारत से होने वाले आयातों पर 50% का एकमुश्त शुल्क लगा दिया है। इस कदम से भारतीय उद्योग, निर्यातकों और किसानों पर गहरा असर पड़ा है। ट्रंप ने साफ कहा है कि भारत को तेल, रक्षा उपकरण और अमेरिकी कृषि उत्पादों की बड़ी मात्रा खरीदनी होगी, ताकि अमेरिका अपने ग्रामीण वोट बैंक यानी किसानों को खुश कर सके।
सबसे बड़ा दबाव कपास क्षेत्र में देखने को मिला है। भारत ने हाल ही में विदेशी कपास पर 40 दिनों के लिए 11% आयात शुल्क हटा दिया, जिससे अमेरिकी कपास घरेलू बाजार में सस्ते दामों पर पहुंच रहा है। भारतीय कपास निगम और किसानों को इससे नुकसान हो रहा है, जबकि वस्त्र उद्योग को उत्पादन लागत घटाने का फायदा मिलेगा। यही दबाव अब डेयरी, मक्का, सोयाबीन और कैनोला जैसे उत्पादों पर भी बनाया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस चुनौती को अवसर में बदल सकता है। अगर भारत को अमेरिकी आयात स्वीकार करना ही पड़े, तो उसे केवल जैविक (ऑर्गेनिक) और गैर-जीएमओ उत्पादों तक सीमित करना चाहिए। मक्का और कपास जैसी फसलों में केवल जैविक किस्मों को अनुमति मिले और बड़े कॉर्पोरेट उत्पादकों की बजाय छोटे किसान सहकारी समितियों से खरीदारी को प्राथमिकता दी जाए। इसके अलावा आयातित खाद्य पदार्थों में हानिकारक कीटनाशकों और रसायनों की सख्त जांच भी जरूरी है।
सबसे बड़ा खतरा डेयरी क्षेत्र में है। अमेरिका भारत को स्किम्ड मिल्क पाउडर और दूध बेचने के लिए दबाव डाल रहा है, लेकिन अमेरिकी गायों को रक्त-आहार और जीएमओ चारे से पाला जाता है। यह न केवल भारतीय धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है बल्कि स्थानीय किसानों और अमूल जैसी सहकारी समितियों के लिए भी विनाशकारी साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि यदि भारत को डेयरी आयात की अनुमति देनी पड़े तो केवल जैविक दूध और छोटे सहकारी उत्पादकों से ही आयात किया जाए।
कुल मिलाकर, ट्रंप के कृषि शुल्क भारत के लिए चुनौती जरूर हैं, लेकिन सही रणनीति के साथ इन्हें अवसर में बदला जा सकता है। भारत यदि अमेरिकी दबाव में भी केवल टिकाऊ, जैविक और छोटे किसानों से जुड़े उत्पादों को ही स्वीकार करता है तो वह अपने किसानों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण – सभी की रक्षा कर सकता है और साथ ही वैश्विक मंच पर एक सकारात्मक छवि भी बना सकता है।