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कनाडा ने 80% भारतीय छात्रों के वीज़ा किए रिजेक्ट, 10 साल में सबसे बड़ा झटका

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भारतीय छात्रों के लिए कनाडा अब पहले जितना आसान और आकर्षक ठिकाना नहीं रहा है। इस साल करीब 80% भारतीय छात्रों के स्टूडेंट वीज़ा रिजेक्ट कर दिए गए हैं, जो पिछले एक दशक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। कनाडा सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह 2027 तक अस्थायी निवासियों (Temporary Residents) की संख्या को देश की कुल आबादी के 5% से भी कम करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसी कारण विदेशी छात्रों, खासकर एशिया और अफ्रीका से आने वाले छात्रों के लिए वीज़ा पाना बेहद मुश्किल हो गया है।

आंकड़ों पर गौर करें तो 2016 में केवल 21,000 भारतीय छात्रों के पास कनाडा का स्टडी परमिट था, लेकिन अगले ही साल यह संख्या लगभग 300% बढ़कर 83,000 तक पहुंच गई। इसके बाद भारतीय छात्रों की संख्या में लगातार इजाफा होता रहा और 2023 में यह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। हालांकि 2024 में इसमें 32% की गिरावट आई और 2025 के मध्य तक हालात और भी खराब हो गए।

फिर भी, यह ध्यान देने योग्य है कि गिरावट के बावजूद 2025 में भी कनाडा में सबसे ज्यादा स्टडी परमिट भारतीय छात्रों के पास ही हैं। भारत के बाद चीन, नाइजीरिया और फिलीपींस के छात्रों का स्थान आता है। यह स्थिति बताती है कि कनाडा भारतीय छात्रों के लिए अब भी एक प्रमुख गंतव्य है, लेकिन वीज़ा नीति की सख्ती ने उनके सपनों पर बड़ा असर डाला है।

विशेषज्ञों का मानना है कि वीज़ा रिजेक्शन की इतनी ऊँची दर से न सिर्फ भारतीय छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा बल्कि कनाडा की शिक्षा प्रणाली और अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। वहां की यूनिवर्सिटीज़ और कॉलेज विदेशी छात्रों की फीस पर काफी हद तक निर्भर हैं। ऐसे में छात्रों की संख्या घटने से संस्थानों को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

कुल मिलाकर, कनाडा में उच्च शिक्षा का सपना देख रहे भारतीय छात्रों को अब पहले से कहीं ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और आने वाले समय में हालात और चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

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