कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्स कर्मियों के नियमितीकरण पर सख्त हुआ हाईकोर्ट
नैनीताल/09/09/2025
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा निर्देश देते हुए कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर छह माह के भीतर स्पष्ट नियम बनाए जाएं। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने यह आदेश एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिए।
यह मामला देहरादून स्थित स्टेट नर्सिंग कॉलेज से जुड़ा है, जहां याचिकाकर्ता मयंक कुमार जामिनी वर्ष 2010 से कॉन्ट्रैक्ट आधार पर लेक्चरर के रूप में कार्यरत हैं। बाद में पद का नाम बदलकर असिस्टेंट प्रोफेसर कर दिया गया। पिछले 15 वर्षों से उनकी सेवा लगातार बिना किसी व्यवधान के बढ़ाई जाती रही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि इतने लंबे समय से सेवा देने और सभी शर्तें व योग्यताएं पूरी करने के बावजूद उन्हें न तो नियमित किया गया है और न ही समान कार्य के लिए समान वेतन दिया गया।
उन्होंने यह भी बताया कि 14 जुलाई 2025 को राज्य सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 16 पदों का विज्ञापन जारी किया है, जिसमें उनका पद भी शामिल है। लेकिन विज्ञापन में न तो उम्र सीमा में छूट दी गई है और न ही अनुभव का कोई लाभ। उन्होंने इसे अवैध और नियमविरुद्ध बताया।
राज्य सरकार ने कोर्ट को यह जानकारी दी कि मुख्यमंत्री की घोषणा और कैबिनेट के निर्णय के बाद सात सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पर विचार करेगी। सरकार का कहना था कि जारी विज्ञापन नियमों के अनुरूप है।
इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पिछले 15 वर्षों से निरंतर सेवा दे रहे हैं और सरकार स्वयं नियमितीकरण के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया में है। ऐसे में जब तक नियम नहीं बन जाते, याचिकाकर्ता का पद खाली रखा जाएगा और उनकी सेवा यथावत जारी रहेगी। कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि छह माह के भीतर नियमितीकरण संबंधी नियम बनाए जाएं और उसके बाद याचिकाकर्ता तथा समान स्थिति वाले अन्य कर्मचारियों के मामलों पर निर्णय लिया जाए।
इस फैसले को राज्य के हजारों कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। अब सभी की नजरें सरकार द्वारा बनाए जाने वाले नियमों और नियमितीकरण की प्रक्रिया पर टिकी हैं।