ट्रंप का नया निशाना भारत की IT कंपनियां, आउटसोर्सिंग पर प्रतिबंध की तैयारी
वॉशिंगटन/06/09/2025
वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने अमेरिका फर्स्ट एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए भारत को निशाने पर ले रहे हैं। भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद अब ट्रंप भारतीय आईटी कंपनियों के खिलाफ बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप अमेरिकी कंपनियों को भारत को आईटी सेवाएं आउटसोर्स करने से रोकने पर विचार कर रहे हैं।
यह दावा उनकी करीबी और दक्षिणपंथी एक्टिविस्ट लॉरा लूमर ने सोशल मीडिया पर किया है। उन्होंने लिखा – “अब आपको अंग्रेजी के लिए 2 दबाने की जरूरत नहीं होगी। कॉल सेंटरों को फिर से अमेरिकी बनाएं।” यह बयान सीधे तौर पर भारत के कॉल सेंटर और आईटी सेवा उद्योग पर सवाल उठाता है।
भारत का आईटी उद्योग निशाने पर
भारत का आईटी उद्योग 250 अरब डॉलर से अधिक का है और लाखों पेशेवरों को रोजगार देता है। इस क्षेत्र में इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो और टेक महिंद्रा जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं, जिनकी आय का बड़ा हिस्सा अमेरिकी ग्राहकों से आता है। अगर ट्रंप का यह प्रस्ताव लागू होता है, तो भारत की आईटी कंपनियों को भारी झटका लग सकता है। कई अनुबंध रातोंरात रद्द हो सकते हैं और बड़े पैमाने पर नौकरियां भी खतरे में पड़ सकती हैं।
आउटसोर्सिंग पर टैरिफ की मांग
ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने भी हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर विदेशी रिमोट कर्मचारियों और आउटसोर्सिंग सेवाओं पर टैरिफ लगाने का समर्थन किया। इससे पहले पूर्व अमेरिकी नेवी खुफिया अधिकारी और दक्षिणपंथी एक्टिविस्ट जैक पोसोबिएक ने भी यही मांग उठाई थी। उनका कहना था कि जैसे वस्तुओं पर शुल्क लगाया जाता है, वैसे ही सेवाओं पर भी शुल्क लगाया जाना चाहिए।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
अगर अमेरिका भारत की आईटी कंपनियों के लिए आउटसोर्सिंग पर रोक या टैरिफ लागू करता है, तो यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को गहरा झटका देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न सिर्फ भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ाएगा बल्कि वैश्विक तकनीकी बाजारों को भी प्रभावित करेगा।
भारत के लिए यह फैसला आईटी क्षेत्र की रीढ़ पर सीधा वार साबित हो सकता है, क्योंकि अमेरिका भारतीय आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा ग्राहक है।