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आपदा पीड़ित राज्य हिमाचल को केंद्र सरकार की आर्थिक सहायता ऊंट के मुंह मे जीरा समान - डॉक्टर दिनेश कुमार

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हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व मीडिया को-ऑर्डिनेटर और पैनलिस्ट डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि प्रदेश में हुई भारी बारिश और प्राकृतिक आपदा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 1500 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता हिमाचल के वास्तविक नुकसान की तुलना में अत्यंत कम है। उन्होंने बताया कि वास्तविक नुकसान केंद्र द्वारा घोषित सहायता राशि से लगभग छह गुणा अधिक है। डॉ. दिनेश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते हैं, इसलिए उन्हें वास्तविक नुकसान के हिसाब से आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए, क्योंकि वर्तमान सहायता राशि “ऊंट के मुंह में जीरा” के समान है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर जिले और क्षेत्र में आपदा से व्यापक नुकसान हुआ है। इस कठिन परिस्थिति में कांग्रेस की संवेदनशील और जनहितैषी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने आपदा पीड़ितों के लिए कई राहत उपाय लागू किए हैं। इनमें पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए 7 लाख रुपये, आंशिक क्षतिग्रस्त मकानों के लिए 1 लाख रुपये, दुकान या ढाबे के नुकसान के लिए 1 लाख रुपये, घर के सामान जैसे कपड़े और बर्तन के नुकसान पर 70 हजार रुपये, किरायेदारों के सामान पर 50 हजार रुपये,

गौशालाओं के पूर्ण क्षतिग्रस्त होने पर 50 हजार रुपये और घर से मलबा निकालने के लिए 50 हजार रुपये शामिल हैं। इसके अतिरिक्त किसानों और बागवानों के पूर्ण क्षतिग्रस्त पॉलीहाउस के लिए 25 हजार रुपये, खेत और बगीचे से मलबा हटाने के लिए प्रति बीघा 6 हजार रुपये, खेती योग्य भूमि और बगीचे के नुकसान पर प्रति बीघा 10 हजार रुपये और फसल के प्रति बीघा 4 हजार रुपये राहत दी जाएगी। बड़े दुधारू पशुओं की मृत्यु पर प्रति पशु 55 हजार और भेड़-बकरी के लिए 9 हजार रुपये की राहत भी प्रदान की जाएगी।

डॉ. दिनेश कुमार ने यह भी बताया कि आपदा के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने मनरेगा में बड़े बदलाव किए हैं। आपदा प्रभावित किसानों को भूमि सुधार के लिए पहले 1 लाख की सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी गई है, जिसमें 60% मजदूरी और 40% सामग्री की लागत शामिल है। उपायुक्तों को ग्राम पंचायतों के अनुमोदन के बिना राहत स्वीकृत करने की शक्ति दी गई है, ताकि प्रभावित लोगों को शीघ्र राहत मिल सके। इसके साथ ही मनरेगा योजना में प्रति पंचायत 20 कार्यों की सीमा और कार्यदिवसों की सीमा में भी छूट दी गई है।

डॉ. दिनेश कुमार ने सभी पंचायत प्रधानों, उप-प्रधानों, वार्ड सदस्यों, जिला परिषद सदस्यों, ब्लॉक समिति सदस्यों, जिला और ब्लॉक किसान कांग्रेस पदाधिकारियों से आग्रह किया है कि वे आपदा पीड़ितों तक सरकार द्वारा प्रदान की गई राहत को सक्रिय रूप से पहुँचाने में सहयोग करें, क्योंकि यह इस संकट की घड़ी में सभी का सामाजिक दायित्व है।

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