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हिमाचल का बड़ा मामला: 1061 करोड़ की जगह मीर बख्श को मिलेगी 92 बीघा जमीन, नाचन में विरोध तेज़

मंडी/23/08/2025

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मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मीर बख्श केस एक बार फिर चर्चा में है। लगभग 68 साल पुराने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि या तो मीर बख्श को उनकी 92 बीघा जमीन वापस दी जाए या फिर इसके एवज में करीब 1061 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए। भारी भरकम मुआवजे से बचने के लिए सुक्खू सरकार अब मीर बख्श को जमीन देने की तैयारी कर रही है। जिला प्रशासन ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है और सुंदरनगर उपमंडल के अंतर्गत नाचन विधानसभा क्षेत्र की छातर और भौर पंचायतों में जमीन चिन्हित की गई है। लेकिन सरकार की इस कवायद का स्थानीय स्तर पर जोरदार विरोध शुरू हो गया है।

शनिवार को नाचन के विधायक विनोद कुमार की अगुवाई में 12 पंचायतों के प्रतिनिधि, महिला मंडल, पूर्व पंचायत प्रतिनिधि और भाजपा कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल एसडीएम सुंदरनगर के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन सौंप चुका है। लोगों का कहना है कि नाचन क्षेत्र की जमीन किसी भी हाल में मीर बख्श को नहीं दी जाएगी। विधायक विनोद कुमार का तर्क है कि छातर पंचायत में एग्रीकल्चर विभाग की जमीन है, जिसे दशकों पहले लोगों ने कृषि योजनाओं के लिए दान किया था। वर्तमान में सरकार इस जमीन पर राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल खोलने की योजना बना रही है। ऐसे में इसे किसी और को देना जनहित के खिलाफ होगा। इसी तरह भौर पंचायत में सेरीकल्चर विभाग की जमीन है जिस पर पूर्व सरकार इंडस्ट्रियल एरिया बनाने की योजना पर काम कर रही थी। इस इंडस्ट्रियल एरिया से हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलने वाले थे। इसलिए इस जमीन को भी किसी व्यक्ति विशेष को देना तर्कसंगत नहीं है।

विधायक विनोद कुमार ने कहा कि वे कोर्ट के आदेशों पर सवाल नहीं उठा रहे, लेकिन प्रशासन को यह सलाह ज़रूर दे रहे हैं कि जिस व्यक्ति की जमीन जहां अधिग्रहित की गई है, उसे उसी क्षेत्र में जमीन उपलब्ध करवाई जाए। उनका कहना है कि मीर बख्श की मूल जमीन बल्ह क्षेत्र में गई थी और उसे वहीं पर जमीन दी जानी चाहिए, न कि नाचन क्षेत्र की सरकारी जमीनें हस्तांतरित की जाएं। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी बात नहीं मानी और जबरन नाचन क्षेत्र की जमीन मीर बख्श को देने की कोशिश की तो लोग सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

गौरतलब है कि मंडी जिले के नेरचौक में मीर बख्श की जमीन पर सरकार ने मेडिकल कॉलेज और अन्य संस्थान बना दिए थे। यही मामला पहले निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट और अंततः सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसके बाद अदालत ने सरकार को सख्त आदेश दिए। अब सुक्खू सरकार के सामने चुनौती यह है कि या तो वह 1061 करोड़ रुपये का मुआवजा अदा करे या फिर 92 बीघा जमीन उपलब्ध कराए। सरकार ने मुआवजे की भारी राशि से बचने के लिए जमीन देने का रास्ता चुना है, लेकिन नाचन क्षेत्र में प्रशासन द्वारा जमीन चिन्हित करने के फैसले ने नया विवाद खड़ा कर दिया है और विरोध की आग धीरे-धीरे तेज होती जा रही है।

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