₹3.20 करोड़ का बिटकॉइन खेल: पूर्व बीजेपी विधायक और IPS अफसर की मिलीभगत
अहमदाबाद की सिटी सिविल एंड सेशंस अदालत ने हाल ही में एक ऐसे मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसने पूरे गुजरात को हिला कर रख दिया। अदालत ने पूर्व बीजेपी विधायक नलिन कोटाडिया और पूर्व अमरेली एसपी जगदीश पटेल को अजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह मामला 2018 में हुए एक बिटकॉइन अपहरण की घटना से जुड़ा था, जिसमें इन दोनों के अलावा कई पुलिसकर्मी और अन्य लोग भी शामिल थे। फरवरी 2018 में, सूरत के बड़े बिल्डर शैलेश भट्ट और उनके साथी किशोर पलाडिया अपनी गाड़ी से गांधीनगर जा रहे थे। उन्हें अचानक पुलिस वर्दी में कुछ लोग मिले और उनकी गाड़ी को रोक लिया गया। भट्ट और पलाडिया को लगा कि यह किसी सामान्य जांच का मामला है, लेकिन जब उन्हें बंधक बना कर एक फार्म हाउस (केशव फार्म) ले जाया गया, तो असली साजिश का पर्दाफाश हुआ। वहां उन्हें घंटों तक पीटा गया, धमकाया गया और पिस्तौल की नोक पर बिटकॉइन ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया। आरोपियों की मांग थी ₹32 करोड़ के बिटकॉइन की। अगर भट्ट और पलाडिया ने इनकी मांग नहीं मानी, तो उनकी जान को खतरा था।
जांच में खुलासा हुआ कि इस अपहरण के पीछे कोई मामूली अपराधी नहीं, बल्कि स्वयं नलिन कोटाडिया और जगदीश पटेल जैसे महत्वपूर्ण अधिकारी थे। उनके अलावा, अमरेली पुलिस के कई कॉन्स्टेबल और क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर आनंद पटेल भी इस अपराध में शामिल थे। पुलिस की जांच में मोबाइल कॉल डिटेल्स, सीसीटीवी फुटेज, बैंक व अन्य फर्मों से जब्त किए गए पैसों ने इस पूरी साजिश को बेनकाब कर दिया। शैलेश भट्ट ने इस मामले की रिपोर्ट गुजरात होम डिपार्टमेंट में की, जिसके बाद सीआईडी-क्राइम ने जांच शुरू की। मामले की जटिलता के बावजूद, धीरे-धीरे आरोपी सामने आते गए। नलिन कोटाडिया कई महीनों तक फरार रहे, लेकिन सितंबर 2018 में उन्हें महाराष्ट्र के जलगांव से गिरफ्तार कर लिया गया। इस केस में कुल 172 गवाहों को पेश किया गया, जिनमें से 92 गवाह मुकर गए, लेकिन डिजिटल रिकॉर्ड्स और सबूतों ने अदालत को सच्चाई दिखाई और आरोपी को सजा दिलवाई।
अहमदाबाद की सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट ने नलिन कोटाडिया, एसपी जगदीश पटेल और अन्य 12 आरोपियों को अजीवन कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, एक आरोपी बिपिन पटेल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। आरोपियों पर आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा चला, जिसमें फिरौती के लिए अपहरण, उगाही, गैरकानूनी कैद, साजिश, धमकी और सबूत मिटाने जैसी गंभीर धाराएं शामिल थीं।
मामले में एक दिलचस्प तथ्य यह था कि शैलेश भट्ट खुद भी एक निर्दोष शख्स नहीं थे। भट्ट पर आरोप था कि उन्होंने बिटकनेक्ट पोंजी स्कीम के जरिए व्यापारी धवल मावाणी से ₹113 करोड़ से ज्यादा के बिटकॉइन और ₹14.5 करोड़ की नगद राशि छीन ली थी। इसके लिए उन्होंने खुद को आयकर अधिकारी बताकर मावाणी और उसके साथियों का अपहरण किया था। यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे भ्रष्टाचार और अपराध किसी भी स्तर पर हो सकते हैं, और इसका असर जनता की सुरक्षा और विश्वास पर पड़ता है।