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निर्वासित तिब्बती संसद ने तिब्बत की स्थिति पर जताई गहरी चिंता, एकजुटता प्रस्ताव पेश

धर्मशाला/14/09/2025

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निर्वासित तिब्बती सरकार की 17वीं संसद के दसवें सत्र के चौथे दिन तिब्बत के अंदर जारी दमनकारी हालातों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। शनिवार को संसद की कार्यवाही सभापति खेनपो सोनम तेनपेल की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें सांसद लोबसांग थुप्तेन द्वारा तिब्बत की गंभीर स्थिति को लेकर एक सात सूत्री एकजुटता प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव का समर्थन सांसद त्सानय्त्सांग धोन्दुप ताशी ने किया।

संसद में प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान सभी सांसदों ने तिब्बती जनता के साथ संवेदना और समर्थन व्यक्त किया। प्रस्ताव में तिब्बतियों के साहस और बलिदान को नमन करते हुए चीन द्वारा अपनाई जा रही कठोर नीतियों की कड़ी आलोचना की गई। इसमें विशेष रूप से जबरन बोर्डिंग स्कूलों में बच्चों को भेजना, मठों पर नियंत्रण, तथा तिब्बती भाषा और पारंपरिक शिक्षा के दमन का उल्लेख किया गया।

प्रस्ताव में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से तिब्बत के प्रति अपनी कठोर नीतियों को समाप्त करने का आह्वान किया गया। इसके साथ ही सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई, विशेषकर 11वें पंचेन लामा की रिहाई की मांग की गई। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि तिब्बत और चीन के बीच सार्थक संवाद की प्रक्रिया फिर से शुरू की जानी चाहिए।

तिब्बत की ऐतिहासिक स्वतंत्रता की पुनः पुष्टि करते हुए प्रस्ताव में दलाई लामा के पुनर्जन्म में किसी भी प्रकार के राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध किया गया। इसके अलावा, दुनिया भर में बसे तिब्बती समुदाय से धर्म, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान भी किया गया।

इस मौके पर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने नेपाल की नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की को पत्र लिखकर उन्हें पदभार संभालने पर बधाई दी और उनके कार्यकाल की सफलता की कामना की।

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