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GST सुधारों से MSME सेक्टर को मिलेगी नई ऊर्जा, रोजगार और विकास को बढ़ावा

नई दिल्ली/14/09/2025

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नई दिल्ली: सरकार द्वारा हाल ही में घोषित GST सुधारों को देश की अर्थव्यवस्था और खासकर MSME सेक्टर के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है। इन सुधारों से जहां उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, वहीं छोटे और मझोले उद्योगों को नई ताकत मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे महिलाओं, ग्रामीण उद्यमियों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।

सरकार ने कई क्षेत्रों में GST दरों में कटौती की है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में ट्रैक्टर (1800 cc से कम) पर टैक्स घटाकर 5% कर दिया गया है। ट्रक और डिलीवरी वैन पर टैक्स 28% से घटाकर 18% कर दिया गया, जिससे लॉजिस्टिक्स की लागत कम होगी और महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी। बसों (10+ सीट) पर टैक्स भी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है, जिससे मजदूर और स्कूली परिवहन सस्ता होगा।

खाद्य प्रसंस्करण और डेयरी उद्योग को भी बड़ी राहत मिली है। दूध और पनीर को पूरी तरह टैक्स फ्री कर दिया गया है। वहीं, घी और मक्खन पर टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। दूध के कैन पर भी अब सिर्फ 5% टैक्स लगेगा। इन सुधारों से किसान, महिला स्वयं सहायता समूह और डेयरी सहकारी समितियां लाभान्वित होंगी।

वस्त्र और परिधान उद्योग में भी बड़ा बदलाव किया गया है। मैन-मेड फाइबर पर टैक्स घटाकर 12% से 5% कर दिया गया है। ₹2,500 तक के रेडीमेड कपड़ों पर भी सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा (पहले यह सीमा ₹1,000 तक थी)। इससे महिला श्रमिकों को रोजगार मिलेगा और टियर-2 व टियर-3 शहरों में कपड़ों की मांग बढ़ेगी।

चमड़ा और फुटवियर उद्योग को भी राहत दी गई है। ₹2,500 से कम कीमत के जूतों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। सीमेंट पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है, जिससे आवास निर्माण सस्ता होगा और प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, कृषि-आधारित लकड़ी उत्पाद जैसे चावल की भूसी से बने बोर्ड और बांस फ्लोरिंग पर टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन सुधारों से MSME सेक्टर को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी, ग्रामीण और शहरी दोनों अर्थव्यवस्थाओं में विकास को गति मिलेगी और लाखों नए रोजगार अवसर पैदा होंगे। सरकार का दावा है कि इससे भारत की स्थिति घरेलू और वैश्विक दोनों बाजारों में और मजबूत होगी तथा देश की अर्थव्यवस्था को समावेशी विकास की नई दिशा मिलेगी।

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