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हिमाचल में आपदा से बागवान बेहाल, सड़कें और एचपीएमसी केंद्र बंद होने से सेब फेंकने को मजबूर

रामपुर बुशहर/11/09/2025

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हिमाचल प्रदेश में लगातार आपदा और प्रशासनिक लापरवाही से सेब बागवानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शिमला जिले की ननखड़ी तहसील की अड्डू पंचायत में हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि बागवान अपनी मेहनत से उगाए सेब खुले में फेंकने को मजबूर हैं। सड़क मार्ग बंद होने और एचपीएमसी का खरीद केंद्र समय पर न खुलने से सेब मंडियों तक नहीं पहुँच पा रहे, जिससे बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

ग्राम पंचायत प्रधान पिंकु खुंद ने बताया कि क्षेत्र की कई सड़कें कई दिनों से बंद हैं, जिसके चलते बागवानों की फसल खेतों और बागों में ही खराब हो रही है। प्राकृतिक आपदा के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई है। बागवानों को न तो उचित परिवहन सुविधा मिल पा रही है और न ही एचपीएमसी से कोई सहारा।

स्थानीय बागवान देवराज शिला, गुड्डू राम शिला, रमेश चंद जतराल, अमीत जतराल और रमेश ठाकुर ने बताया कि मौसम की मार और प्रशासनिक देरी ने उनकी मेहनत को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा कि सेब सीजन अपने चरम पर है, लेकिन सड़कें बंद और खरीद केंद्र न खुलने से उन्हें फसल को सड़ने देना पड़ रहा है। कुछ बागवान इतने मजबूर हैं कि वे पूरी उपज खुले में फेंक रहे हैं।

बागवानों ने सरकार से तत्काल राहत और हस्तक्षेप की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगों में प्रभावित क्षेत्रों की सड़कों को तुरंत बहाल करना, एचपीएमसी खरीद केंद्रों को खोलकर उचित दामों पर सेब की खरीद सुनिश्चित करना और बागवानी ऋण, खासकर किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) ऋण की माफी शामिल है। बागवानों का कहना है कि यदि सरकार ने इन मुद्दों पर तुरंत कार्रवाई नहीं की तो उनकी आर्थिकी पूरी तरह से चरमरा जाएगी और आने वाले सीजन की तैयारी भी असंभव हो जाएगी।

स्थानीय लोगों का मानना है कि हिमाचल की अधिकांश जनता सेब पर ही निर्भर है और इस बार प्राकृतिक आपदा ने उनकी रीढ़ तोड़ दी है। सरकार के समय रहते कदम न उठाने से बागवानों की उम्मीदें लगातार टूट रही हैं। अब सभी की नजरें सरकार की ओर टिकी हैं कि वह किसानों और बागवानों के हित में क्या ठोस कदम उठाती है।

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