पंजाब के 15 युवाओं को नौकरी के बहाने यूक्रेन युद्ध में झोंका, रूस ले जाकर कर दी गई जबरन भर्ती
पंजाब और हरियाणा के कई युवाओं को नौकरी का झांसा देकर रूस भेजा गया, जहां उन्हें जबरन रूसी सेना में भर्ती कर यूक्रेन युद्ध में झोंक दिया गया। यह खुलासा तब हुआ जब कुछ पीड़ित परिवारों ने सामने आकर अपने अनुभव साझा किए। मोगा के गुरसेव सिंह का बेटा लापता है और अमृतसर की परमिंदर कौर ने बताया कि उनके पति युद्ध में मारे गए। परिवारों का आरोप है कि मृतकों के लिए जो मुआवजा मिलना था,
वह भी दलालों और ट्रैवल एजेंटों ने हड़प लिया। एक रिपोर्ट के अनुसार कम से कम 15 पंजाबी युवकों को पहले रूस ले जाया गया और फिर नौकरी के बहाने जबरन सेना में भर्ती कर युद्ध के मैदान में भेज दिया गया। हरियाणा के फतेहाबाद के दो युवाओं ने एक वीडियो जारी कर मदद की गुहार लगाई है, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें धोखे से सेना में भर्ती किया गया।
जालंधर के जसदीप कुमार ने दावा किया कि उनके गांव के पांच युवकों की मौत हो चुकी है और तीन लापता हैं, जिनमें उनका भाई भी शामिल है। कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने इस मुद्दे को लेकर चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह महज धोखाधड़ी नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी का मामला है, लेकिन पुलिस और एजेंसियां अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि रूस से उच्च स्तरीय वार्ता कर फंसे युवाओं की वापसी सुनिश्चित की जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए और आगे ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
विदेश मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी और रूस से भारतीय नागरिकों की जबरन भर्ती पर आपत्ति जताई है। मंत्रालय ने दिल्ली और मॉस्को दोनों स्थानों पर अपने राजनयिक चैनलों के माध्यम से इस पर बात उठाई है और कहा है कि ऐसे मामलों में भारत सरकार बेहद गंभीर है।
प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में इस तरह की घटनाओं पर मंत्रालय ने निगरानी बढ़ा दी है और रूस को चेताया है कि भविष्य में भारतीयों की जबरन भर्ती न की जाए। यह मामला देश के युवाओं की सुरक्षा, सम्मान और मानवाधिकारों से जुड़ा है, जिस पर तत्काल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।