आईआईएएस के नए निदेशक प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी का एजेंडा: ज्ञान और समाज
शिमला : भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला के नए निदेशक प्रो. हिमांशु कुमार चतुर्वेदी ने पदभार संभालने के बाद पहली बार मीडिया से औपचारिक बातचीत की। राष्ट्रपति निवास परिसर स्थित सेमिनार कक्ष में आयोजित संवाद में उन्होंने संस्थान की भावी दिशा, अकादमिक प्राथमिकताओं और समाज से जुड़ाव पर अपने विचार साझा किए।
प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि विज्ञान ने अनेक समाधान प्रदान किए हैं, लेकिन इसकी सीमाएँ भी हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ज्ञान की वास्तविक उन्नति तभी संभव है जब विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी और भारतीय परंपरा के बीच सार्थक संवाद हो। उन्होंने आश्वासन दिया कि आईआईएएस में अंतरविषयी अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि विविध विषयों के मेल से नए विचारों को जन्म मिले।
निदेशक ने भारतीय परंपराओं के महत्व पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि इन्हें शैक्षणिक विमर्श में उचित स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि संस्थान का उद्देश्य केवल शोध को आगे बढ़ाना नहीं है, बल्कि उसे समाज से जोड़ना भी है ताकि आम लोग भी उच्च स्तरीय अनुसंधान से लाभान्वित हो सकें।
मीडिया की भूमिका पर बोलते हुए प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि समाचार माध्यम समाज और विद्वता के बीच सेतु का काम करते हैं। उन्होंने आईआईएएस और मीडिया के बीच संवाद को और अधिक रचनात्मक एवं नियमित बनाने का भरोसा दिलाया।
भविष्य की योजनाओं के बारे में बताते हुए निदेशक ने कहा कि उनका लक्ष्य भारतीय ज्ञान प्रणाली को सुदृढ़ करना, भारत को समझने के लिए भारतीय मानदंड विकसित करना और जमीनी स्तर पर अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही, ई-लाइब्रेरी और डिजिटलीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि उनका प्रयास आईआईएएस को ऐसा केंद्र बनाने का है जो अकादमिक रूप से कठोर और अनुशासित हो, परंतु सामाजिक दृष्टि से प्रासंगिक और जीवंत भी बना रहे। इसके अलावा, 3 और 4 सितंबर को संस्थान “आधुनिक हिन्दी साहित्य और भारतीयता” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करेगा।
इस अवसर पर संस्थान के सचिव मेहर चंद नेगी और जनसंपर्क अधिकारी अखिलेश पाठक भी मौजूद रहे। मीडिया प्रतिनिधियों ने निदेशक की खुली सोच और संवाद की पहल की सराहना की।