दो महीने की सख्ती का असर: 610 अवैध मछुआरे पकड़ाए, ₹5.58 लाख जुर्माना वसूला — अब खुलेगी मत्स्य आखेट की राह
बिलासपुर।15/08/2025
हिमाचल प्रदेश में 15 जून से 15 अगस्त तक लागू मत्स्य आखेट प्रतिबंध शुक्रवार को समाप्त हो गया। राज्य के जलाशयों में मछलियों की प्रजनन क्षमता बढ़ाने और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए हर साल यह दो महीने का प्रतिबंध लागू किया जाता है। हालांकि इस अवधि में भी कई जगहों पर अवैध रूप से मछली शिकार किए जाने के मामले सामने आए। मत्स्य विभाग की सख्त निगरानी और कार्रवाई के चलते कुल 610 अवैध शिकार के मामले दर्ज किए गए और विभिन्न जिलों में मिलाकर ₹5.58 लाख से अधिक का जुर्माना वसूला गया। सबसे ज़्यादा उल्लंघन पोंग बांध क्षेत्र में हुआ, जहां 188 मामलों में ₹2,02,750 की वसूली हुई। इसके बाद गोविंद सागर झील में 118 मामलों में ₹96,050 और कोल डैम क्षेत्र में 93 मामलों में ₹89,800 का जुर्माना लगाया गया। रेणुकाजी में 26 मामलों में ₹11,700, शिमला में 8 मामलों में ₹5,500, ऊना में 7 मामलों में ₹13,200 और कांगड़ा में 51 मामलों में ₹44,000 की वसूली की गई। पत्तन क्षेत्र में 49 मामलों पर ₹37,600, सोलन में 46 मामलों पर ₹34,200 और मंडी में 26 मामलों में ₹14,400 का जुर्माना लगाया गया। विभाग ने बताया कि 15 जून से 15 अगस्त के बीच पहले चरण में 109 मामले और दूसरे चरण में 442 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें क्रमशः ₹66,500 और ₹2.93 लाख की वसूली हुई। मत्स्य विभाग के निदेशक विवेक चंदेल ने जानकारी दी कि प्रतिबंध का उद्देश्य मछलियों की प्राकृतिक वृद्धि को बढ़ावा देना है और इसके सकारात्मक परिणाम अगले कुछ महीनों में मत्स्य उत्पादन के आंकड़ों में देखने को मिलेंगे। विभाग अब सक्रिय रूप से मछुआरों को आखेट शुरू करने की अनुमति देने और व्यवस्था बहाल करने की प्रक्रिया में जुट गया है।