हिमाचल के शिपकिला और सिक्किम के नाथुला दर्रे से बढ़ेगा भारत - चीन व्यापार
लंबे समय से ठप पड़ा भारत-चीन व्यापार अब फिर से शुरू होने जा रहा है। एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) और विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, व्यापारिक रास्ते खुलने से दोनों देशों को प्रतिवर्ष लगभग 5 से 6 अरब डॉलर का आर्थिक लाभ होगा।
भारत-चीन सीमा व्यापार ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है। यह व्यापार 1962 के युद्ध के बाद बंद कर दिया गया था, लेकिन 2006 में सीमित स्तर पर फिर से शुरू हुआ। अब शिपकी ला और नाथुला दर्रे से व्यापार को और अधिक गति देने की तैयारी है।
भारत को मिलेगी बड़ी राहत
भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ के कारण भारत को जो नुकसान झेलना पड़ रहा था, उसकी भरपाई चीन के साथ व्यापार से हो सकेगी।
भारत की विनिर्माण क्षमता होगी मजबूत
नई व्यवस्था के तहत हिमाचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से चीन तक मसाले, फल, जड़ी-बूटियां और अन्य उत्पाद आसानी से पहुंचाए जा सकेंगे। वहीं चीन से मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य औद्योगिक सामान भारत आएंगे। इससे भारत की विनिर्माण क्षमता बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
दुर्लभ खनिज और उर्वरक में आत्मनिर्भरता
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि भारत अब दुर्लभ खनिज और उर्वरक जैसे क्षेत्रों में चीन पर निर्भरता घटाने की दिशा में काम कर रहा है। 2024-25 तक भारत और चीन के बीच व्यापार का स्तर 100 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है।
भारत-चीन व्यापारिक रिश्तों की बहाली से न केवल दोनों देशों को आर्थिक फायदा होगा, बल्कि एशियाई क्षेत्र में व्यापारिक और रणनीतिक संतुलन भी मजबूत होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक यह पहल भारत के लिए बड़ी राहत साबित होगी।