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भारत की सड़क सुरक्षा में डिजिटल क्रांति: iRAD और eDAR बदलेंगे सिस्टम

नई दिल्ली/07/09/2025

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नई दिल्ली: भारत दुनिया के सबसे खतरनाक सड़क नेटवर्क में से एक माना जाता है, जहां हर घंटे लगभग 20 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो जाती है. लंबे समय से दुर्घटनाओं की रिपोर्टिंग, मुआवज़े और नीतिगत कदमों में खामियां रही हैं, लेकिन अब स्थिति बदल रही है. सरकार ने इंटिग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (iRAD) और इलेक्ट्रॉनिक डिटेल एक्सीडेंट रिपोर्ट (eDAR) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं, जो सड़क सुरक्षा में बड़ा सुधार ला सकते हैं. जनवरी 2020 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने iRAD की शुरुआत की थी, जबकि eDAR को 2024 में लागू किया गया. ये दोनों प्लेटफॉर्म अब सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सक्रिय हैं.

पारंपरिक रूप से, सड़क दुर्घटनाओं की जानकारी पुलिस की प्राथमिकी (FIR) या कभी-कभी सीसीटीवी फुटेज तक सीमित रहती थी, जिससे कई बार रिपोर्टिंग अधूरी और विलंबित होती थी. iRAD ने इस खामी को दूर किया है. यह सिस्टम पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, परिवहन और राजमार्ग एजेंसियों से जुड़ा डेटा एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर लाकर दुर्घटनाओं की पूरी तस्वीर उपलब्ध कराता है. इसमें मौके पर जीपीएस कोऑर्डिनेट्स, फोटो, वाहन की डिटेल और पीड़ित की स्थिति जैसी जानकारी मोबाइल ऐप के ज़रिए रीयल-टाइम में अपलोड की जाती है. इससे दुर्घटनाओं के त्वरित इलाज, ब्लैक स्पॉट की पहचान और सुधारात्मक सड़क डिज़ाइन संभव हो रहा है.

विशेषज्ञों का मानना है कि iRAD सिर्फ रिकॉर्ड रखने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स के ज़रिए दुर्घटनाओं की रोकथाम में भी मदद कर सकता है. यह प्लेटफ़ॉर्म सड़क की स्थिति, वाहन का प्रकार, गति और समय जैसे पैटर्न का विश्लेषण करके अधिकारियों को हाई-रिस्क एरिया की पहचान करने और समय रहते हस्तक्षेप करने की क्षमता देता है. दिल्ली इसका बड़ा उदाहरण है, जहां iRAD डेटा के आधार पर एम्बुलेंस को दुर्घटना हॉटस्पॉट्स पर तैनात किया गया, जिससे प्रतिक्रिया समय घटा और कई लोगों की जान बची.

दूसरी ओर, eDAR का मकसद पीड़ितों को त्वरित राहत और न्याय दिलाना है. पहले मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) में मुआवज़ा पाने में वर्षों लग जाते थे, लेकिन अब eDAR के जरिए दुर्घटना दर्ज होते ही एक पीड़ित आईडी बन जाती है. इस आईडी का उपयोग अस्पतालों, बीमा कंपनियों और न्यायालयों द्वारा किया जा सकता है. यहां तक कि अगर कोई पीड़ित बिना पुलिस रिपोर्ट के अस्पताल पहुंचता है, तो भी उसकी जानकारी दर्ज की जा सकती है. मार्च 2025 तक 336 अस्पतालों के 6,100 से अधिक रोगियों को इस सिस्टम में शामिल किया जा चुका है.

दिल्ली जैसे शहरों में इस पहल ने खास असर दिखाया है. मार्च 2022 से 2025 की शुरुआत तक यहां 18,592 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 39,747 लोग प्रभावित हुए. इनमें 23 प्रतिशत दुर्घटनाएं घातक थीं और 4,638 लोगों की मौत हुई. iRAD और eDAR के एकीकरण के बाद दिल्ली ने 261 CATS एम्बुलेंस को हॉटस्पॉट्स पर गतिशील रूप से तैनात किया, जिससे दुर्घटनाओं के बाद त्वरित चिकित्सा सहायता उपलब्ध हो सकी.

हालांकि, इन दोनों प्लेटफॉर्म्स के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं. ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों को उचित प्रशिक्षण की ज़रूरत, विभागों के बीच समन्वय और डेटा गोपनीयता जैसी समस्याएं मौजूद हैं. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा मिशन के तहत इन चुनौतियों पर ध्यान दिया गया, तो भारत एक डेटा-संचालित, सुरक्षित और पारदर्शी सड़क नेटवर्क बना सकता है.

जनवरी 2025 तक iRAD ने 14.66 लाख दुर्घटनाओं और 5.43 लाख मौतों का रिकॉर्ड दर्ज किया है. यह डेटा न केवल भविष्य की नीतियों के निर्माण में मदद कर रहा है, बल्कि सड़क सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने का आधार भी बन रहा है. अब लक्ष्य सिर्फ दुर्घटनाओं की रिपोर्टिंग नहीं, बल्कि उनकी भविष्यवाणी और रोकथाम करना है, जिससे आने वाले समय में लाखों लोगों की जान बचाई जा सके.

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