प्रॉपर्टी से जुड़ी मनोकामनाएं होती हैं पूरी, प्रसिद्ध है भू-वराह मंदिर
अगर आप भी अपना घर बनाने या जमीन-प्रॉपर्टी खरीदने का सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं, तो कर्नाटक के कल्लहल्ली स्थित श्री भू-वराह स्वामी मंदिर आपके लिए आस्था का बड़ा केंद्र हो सकता है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भूमि और संपत्ति से जुड़ी सभी इच्छाएं भगवान वराह अवश्य पूरी करते हैं।
मंदिर की मान्यता और पौराणिक कथा
श्री भू-वराह स्वामी मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने वराह रूप में धरती माता (भूदेवी) को दानव हिरण्याक्ष से बचाया था। इस मंदिर में भगवान वराह अपनी पत्नी भूदेवी के साथ विराजमान हैं, जिन्हें भूमि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां प्रार्थना करने से भूमि खरीदने, घर बनाने, संपत्ति विवाद सुलझाने और निर्माण कार्यों में सफलता मिलती है।
विशेष परंपराएं
इस मंदिर में एक अनूठी परंपरा भी है। भक्त मुक्ति पूजा के दौरान मंदिर परिसर से मिट्टी लेकर दो ईंटें खरीदते हैं। इनमें से एक ईंट मंदिर में रखी जाती है और दूसरी को घर ले जाकर पूजन के बाद उत्तर-पूर्व दिशा में रख दिया जाता है। मान्यता है कि यह प्रक्रिया भूमि और संपत्ति से संबंधित इच्छाओं को पूरा करती है।
मंदिर की विशेषताएं
यहां भगवान वराह की 14-18 फीट ऊंची शालिग्राम पत्थर की प्रतिमा स्थापित है। शांत वातावरण और नदी के किनारे स्थित यह मंदिर भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। मंदिर में नि:शुल्क प्रसाद भोजन की व्यवस्था भी है। वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना यह मंदिर मध्यकालीन शैली और शिल्पकला का बेहतरीन उदाहरण माना जाता है।
कैसे पहुंचे
श्री भू-वराह स्वामी मंदिर, कल्लहल्ली, मैसूर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां भक्त बस या निजी वाहन से पहुंच सकते हैं। मंदिर सुबह 9:30 से दोपहर 1:30 बजे तक और दोपहर 3:30 से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। सप्ताहांत में यहां भीड़ अधिक रहती है, इसलिए दर्शन के लिए सप्ताह के अन्य दिनों को प्राथमिकता देना बेहतर माना जाता है।