लिपुलेख विवाद पर नेपाल का कड़ा रुख, भारत-चीन से व्यापार समझौता खत्म करने की मांग
काठमांडू/09/09/2025
काठमांडू: नेपाल के सत्ताधारी दल सीपीएन-यूएमएल ने भारत और चीन के बीच हुए लिपुलेख व्यापार समझौते का विरोध किया है। पार्टी ने साफ कहा है कि इस समझौते को तुरंत रद्द किया जाए क्योंकि इसमें नेपाल की संप्रभुता और अधिकारों की अनदेखी की गई है।
दरअसल, लिपुलेख के रास्ते भारत और चीन के बीच व्यापारिक गतिविधियां चलती रही हैं। नेपाल का कहना है कि यह क्षेत्र उसका अभिन्न हिस्सा है और बिना उसकी सहमति के किसी भी प्रकार का समझौता अवैध है। सीपीएन-यूएमएल की स्थायी समिति ने बैठक कर इस मुद्दे को गंभीर बताया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने की मांग की।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के कार्यकाल में वर्ष 2020 में लिपुलेख क्षेत्र को लेकर भारत-नेपाल संबंधों में तनाव बढ़ गया था। उस दौरान नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना हिस्सा बताया गया था। इस पर भारत ने कड़ा विरोध जताया था। अब एक बार फिर यह विवाद गर्मा गया है।
सीपीएन-यूएमएल का कहना है कि नेपाल की सरकार को इस मामले को भारत और चीन दोनों के साथ गंभीरता से उठाना चाहिए और साफ संदेश देना चाहिए कि नेपाल की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं होगा। समिति ने यह भी आरोप लगाया कि भारत और चीन अपने हितों के लिए नेपाल की अनदेखी कर रहे हैं, जिससे नेपाल की स्थिति अंतरराष्ट्रीय मंच पर कमजोर पड़ सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल का यह रुख भारत और चीन दोनों के लिए कूटनीतिक चुनौती खड़ा कर सकता है। हालांकि, दोनों ही देशों के साथ नेपाल के गहरे आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, इसलिए आने वाले समय में इस विवाद को लेकर बड़ी राजनीतिक हलचल देखी जा सकती है।