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PM मोदी और उनकी दिवंगत मां पर बनाए गए फेक AI वीडियो पर FIR

नई दिल्ली/14/09/2025

pm mother

दिल्ली पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां हीराबेन मोदी को लेकर बनाए गए फर्जी AI वीडियो के मामले में गंभीर कार्रवाई करते हुए FIR दर्ज कर ली है। यह वीडियो बिहार कांग्रेस के आधिकारिक एक्स (X) हैंडल से 10 सितंबर को पोस्ट किया गया था। इसमें AI तकनीक के माध्यम से एक कविता के रूप में भावुक वीडियो बनाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री और उनकी मां को केंद्र में रखा गया था। वीडियो के वायरल होते ही बीजेपी ने इसे प्रधानमंत्री की छवि खराब करने और राजनीतिक बदनामी फैलाने की कोशिश बताया।

इस मामले में दिल्ली बीजेपी चुनाव सेल के संयोजक संकेत गुप्ता ने 11 सितंबर को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि यह वीडियो न सिर्फ प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत और संस्थागत प्रतिष्ठा पर हमला है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, महिलाओं की गरिमा और मातृत्व की पवित्रता पर भी चोट है। इसे एक सुनियोजित डिजिटल साजिश बताया गया, जिसका मकसद समाज में भ्रम, नफरत और अशांति फैलाना है।

शिकायत के आधार पर पुलिस ने 13 सितंबर को नॉर्थ एवेन्यू थाने में FIR संख्या 0050/2025 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं — जिनमें धारा 18(2), 336(3), 336(4), 340(2), 352, 356(2) और 6(12) शामिल हैं। ये धाराएं फर्जी डिजिटल कंटेंट बनाना, अफवाह फैलाना, महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाना, और सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करने जैसे अपराधों से संबंधित हैं।

FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की जांच IFSओ (Intelligence Fusion & Strategic Operations) यूनिट को सौंपी है। उन्हें संबंधित डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से वीडियो और प्रसारण से जुड़ी तकनीकी जानकारी एकत्र करने और जांच आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।

हालांकि कांग्रेस की ओर से इस वीडियो को लेकर सफाई दी गई है कि इसमें प्रधानमंत्री या उनकी मां को लेकर कोई अमर्यादित भाषा प्रयोग नहीं की गई। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह एक राजनीतिक मुद्दों पर आधारित अभिव्यक्ति थी, न कि व्यक्तिगत हमला। लेकिन बीजेपी ने इसे भारतीय मूल्यों और संवेदनशील सामाजिक मुद्दों के साथ राजनीतिक लाभ के लिए खिलवाड़ बताया है।

इस घटना ने न केवल डिजिटल मीडिया में AI टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल की बहस को जन्म दिया है, बल्कि चुनावी माहौल में साइबर अपराधों और राजनीतिक प्रचार के नैतिक दायरे पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

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