शिमला में कुत्तों का कहर! रानी झांसी पार्क में स्कूली बच्चे पर हमला, लहूलुहान हालत में अस्पताल पहुंचा
राजधानी शिमला में आवारा कुत्तों का आतंक अब भयावह रूप लेता जा रहा है। कभी शांति, सैर-सपाटे और प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर यह शहर अब कुत्तों के खौफ से कांपने लगा है। लगातार बढ़ रही कुत्तों की हमलों की घटनाओं ने आम नागरिकों के साथ-साथ पर्यटकों की भी नींद उड़ा दी है।
ताज़ा मामला शुक्रवार को तब सामने आया जब शिमला के प्रसिद्ध माल रोड से सटे रानी झांसी पार्क में खेल रहे स्कूली छात्र पर आवारा कुत्तों के झुंड ने अचानक हमला कर दिया। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाला रिहांश जोशी, जो केंद्रीय विद्यालय जाखू का छात्र है, परीक्षा के बाद अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। तभी कुछ कुत्तों ने उसे घेरकर बुरी तरह से नोच डाला।
स्थानीय लोगों की तत्परता से बच्चा कुत्तों के चंगुल से छुड़ाया जा सका, लेकिन तब तक उसकी टांग बुरी तरह से लहूलुहान हो चुकी थी। कुत्ते के दांतों के गहरे जख्म उसकी हालत की गंभीरता को दर्शा रहे थे। तुरंत एम्बुलेंस बुलाई गई और घायल छात्र को डीडीयू अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसकी पट्टियां की गईं।
शहर में बढ़ते खौफ का माहौल
यह कोई पहली घटना नहीं है। बीते कुछ महीनों में शिमला में कुत्तों के हमले की दर्जनों घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें अधिकतर शिकार छोटे बच्चे और महिलाएं बने हैं। इन घटनाओं के बाद से स्थानीय लोग अपने बच्चों को बाजार या पार्क जैसी जगहों पर भेजने से भी डरने लगे हैं।
नगर निगम के दावे धरातल पर नाकाम
शिमला नगर निगम ने भले ही आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए रेबीज और नसबंदी के टीके लगाने और उन्हें टैगिंग करने की मुहिम शुरू की है, लेकिन हकीकत यह है कि इसका असर बिल्कुल नहीं दिख रहा। उल्टा, अब ये कुत्ते और भी ज्यादा आक्रामक होते जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके हमलों से न केवल आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, बल्कि शहर की छवि भी धूमिल हो रही है।
प्रशासन और निगम के लिए चेतावनी का समय
शिमला जैसे पर्यटन स्थल पर इस तरह की घटनाएं न सिर्फ स्थानीय निवासियों के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि यह पर्यटकों की सुरक्षा के लिहाज से भी एक बड़ी चुनौती है। कुत्तों के बढ़ते आतंक से पर्यटन उद्योग पर भी असर पड़ सकता है।
यह वक्त है कि नगर निगम शिमला और स्थानीय प्रशासन इस गंभीर समस्या को हल्के में न लेकर इसे प्राथमिकता के आधार पर सुलझाएं। आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने, उनका पुनर्वास, और जनता की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाना अब अनिवार्य हो गया है।