शिपकी ला से भारत चीन व्यापार को चीन ने दी सैद्धांतिक सहमति
कैलाश मानसरोवर यात्रा भी होगी शुरू
शिमला । हिमाचल प्रदेश सरकार के निरंतर प्रयासों से शिपकी-ला के रास्ते भारत-चीन सीमा व्यापार बहाल होने की दिशा में अहम प्रगति हुई है। हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के दौरान चीन ने इस प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति जताई है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के व्यक्तिगत हस्तक्षेप और केंद्र सरकार से लगातार आग्रह के चलते यह बड़ी सफलता मिली है।
केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राज्य सरकार को सूचित किया है कि भारत सरकार ने चीन से तीन निर्दिष्ट व्यापार मार्गों—शिपकी-ला (हिमाचल प्रदेश), लिपुलेख (उत्तराखंड) और नाथू ला (सिक्किम)—को फिर से खोलने पर चर्चा शुरू कर दी है। कोविड-19 महामारी के कारण 2020 से बंद यह सीमा व्यापार अब फिर से शुरू होने की संभावना बन गई है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि शिपकी-ला कभी ऐतिहासिक सिल्क रूट का हिस्सा रहा है और 1994 के भारत-चीन द्विपक्षीय समझौते के तहत इसे औपचारिक व्यापार बिंदु घोषित किया गया था। इससे ट्रांस-हिमालयी आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को नई दिशा मिलेगी।
व्यापार के साथ-साथ शिपकी-ला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर शुरू करने की संभावना पर भी सकारात्मक संकेत मिले हैं। यह मार्ग तिब्बत की ओर से तुलनात्मक रूप से छोटा है और हिमाचल प्रदेश में रामपुर बुशहर व पूह होते हुए शिपकी-ला तक सड़क पहले से मौजूद है। इससे यात्रा के लिए आधार शिविर और अन्य आवश्यक ढांचा आसानी से विकसित किया जा सकता है।
विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि पांच साल के अंतराल के बाद लिपुलेख और नाथू ला दर्रों से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हो चुकी है। अब शिपकी-ला को अतिरिक्त मार्ग के रूप में जोड़े जाने पर विचार चल रहा है।
राज्य सरकार को उम्मीद है कि इन पहलों से न केवल पारंपरिक सीमा व्यापार पुनः स्थापित होगा, बल्कि पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और हिमाचल की अर्थव्यवस्था को भी नया आयाम मिलेगा। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश की इस अहम मांग को चीन के साथ वार्ता में प्राथमिकता दी गई है।